इतिहास के पन्नों को पलट रहे हैं तो गहराई को जानना स्वाभाविक होगा, हम बात कर रहे हैं यहाँ सेना दलों का महत्वपूर्ण दल ‘नौ सेना’ तीसरे युद्ध के दौरान देश की नौ सेना द्वारा अपना जौहर बखूबी दिखाया था। लेकिन यह जानकर आश्चर्य भी हुआ कि 1965 के दौरान दूसरे युद्ध के पहले नौ सेना को भारतीय सीमा के बाहर किसी भी तरह की गतिविधि करने की अनुमति नहीं थी। लेकिन इसी बीच तत्कालीन प्राधानमंत्री इंदिरा गांधी और नौसेना के अध्यक्ष एडमिरल एस . एम. नंदा के बीच युद्ध को लेकर काफी लंबी बातें शुरू हुई, आइए जानते हैं, कि इस मुलाकात का क्या अंजाम रहा।
“इफ देयर इज अ वॉर, देयर इज अ वॉर”
1971 में तीसरे युद्ध के आगाज के पहले तत्कालीन प्राधानमंत्री इंदिरा गांधी और तत्कालीन नौ सेना के अध्यक्ष एडमिरल एस. एम. नंदा के बीच हमले को लेकर बात-चीत हुई। जिसमें अध्यक्ष नंदा ने नौसेना की तैयारियों की जानकारी देते हुए सवाल पूछा कि कराची के पाकिस्तानी नेवल बेस पर हमला करने की मंजूरी मिल सकती है? और उन्होंने यह भी पूछा कि हमारे इस हमले से सरकार को कोई राजकीय आपत्ति तो नहीं होगी? तत्कालीन प्रधानमंत्री ने उत्तर देते हुए कहा कि, वेल एडमिरल “इफ देयर इज अ वॉर, देयर इज अ वॉर”। मंजूरी लेने की वजह यह थी, क्यूंकि भारतीय नौसेना 1965 युद्ध के दौरान अपना जौहर नहीं दिखा पाई थी।
यहां पढ़ें: Navy Day 2021: आज के दिन पाकिस्तान को घुटने टेकने पर किया था मजबूर जानिए क्या थी वजह!
1971: नौसेना का ऑपरेशन ट्राईडेन्ट (Operation Trident)
भारतीय नौसेना को तत्कालीन प्राधानमंत्री इंदिरा गांधी से मंजूरी मिलते ही सेना युद्ध के लिए संपूर्ण रूप से तैयार थी। 4 दिसंबर के दिन भारतीय नौसेना, पाकिस्तान के बेहद महत्वपूर्ण कराची पोर्ट और नवल बेस को अपना निशान बनाया। दिल्ली से भारतीय नेवी हेडक्वाटर और वेस्टर्न नवल कमांड ने साथ मिलकर 460 किलोमीटर दूर पाकिस्तानी नवल बेस निशान साधा। इस मिशन को अंजाम देने के लिए रात्री का समय चुना गया। क्योंकि उस समय पाकिस्तानी ऐयरफोर्स रात के समय कार्यवाही करने सक्षम नहीं थी। 1971 (1971 Operation Trident)ऑपरेशन ट्राईडेन्ट 25 स्कवॉर्ड के कमांडर बबरूभान यादव के नेतृत्व में भारतीय नौसेना ने पाकिस्तान पर विद्धुत मिसाईल बोट द्वारा हमला किया। इस युद्ध में पहली बार एंटी-शिप मिसाइल से हमला किया गया।
ऑपरेशन ट्राइडन्ट के अंतर्गत पहला हमला
ऑपरेशन ट्राइडन्ट के अंतर्गत पहला हमला निपट, निरघट और वीर मिसाल बोट्स द्वारा किया गया। इसके अलावा दो एंटी-सबमरीन कोवर्ट ने भी हिस्सा लिया। सभी बोटों पर चार – चार एंटी-शिप मिसाइल तैनात थी। मिशन के कमांडर बबूरभान यादव स्वयं निपट बोट पर तैनात थे। अचानक से हुए हमले की कार्यवाही के परिणाम स्वरूप पाकिस्तान नवल बेस में हड़कंप मच गया। और पाकिस्तानी नेवी के खैबर, चैलेंजर और मुहाफिज जहाजों को ध्वस्त कर पानी में डूबा दिया गया। कई जहाज अत्यधिक क्षतिग्रस्त हो गए पलट वॉर की स्थिति में नहीं रहे।
देखें यह वीडियो: ऑपरेशन ट्राईडेंट को कैसे मिली सफलता?
गौरतलब बात तो यह है कि, कराची के ‘हार्बर फ्यूल स्टोरेज’ (Harbor fuel storage) को भारतीय नौसेना ने पूरी तरह से नस्ट कर दिया। कराची ऑइल डिपो के नस्ट होने की लपटें लगभग 60 किलोमीटर की दूरी से भी दिखाई दे रही थी। ऑइल डिपो लगातार सात दिन तक दिन – रात जलता रहा। इस ऑपरेशन में पाकिस्तानी नेवी के 500 नौसैनिक मारे गये। इस हमले के बाद पाकिस्तान ने कराची पोर्ट को चारों तरफ विमान सर्विलांस तैनात कर दिए और अपनी सेना को सतर्क रहने का आदेश दे दिया।
देश दुनिया की खबरों को देखते रहें, पढ़ते रहें.. और OTT INDIA App डाउनलोड अवश्य करें.. स्वस्थ रहें..
अधिक रोचक जानकारी के लिए डाउनलोड करें:- OTT INDIA App
Android: http://bit.ly/3ajxBk4