Aaya Ram Gaya Ram: यूपी में कई दिग्गज नेता चुनाव तारीखों के ऐलान के बाद दल-बदल की राजनीति करते दिखाई दे रहे है। शुक्रवार को यूपी की योगी सरकार के दो मंत्री और दो विधायक इस्तीफे के बाद चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए है। यह पहली बार नहीं है, जब चुनाव के अंतिम समय नेता पार्टी छोड़कर दूसरी पार्टी में शामिल हो जाते है। इसका इतिहास बहुत पुराना है। ऐसी राजनीतिक घटना के लिए आयाराम-गयाराम (Aaya Ram Gaya Ram) शब्द का उपयोग किया जाता है। ‘आया राम गया राम’ के पीछे बेहद रोचक कहानी जुड़ी है।
‘आया राम गया राम’ वाक्य का पहली बार इस्तेमाल:
साल 1967 में पहली बार भारत की राजनीति में ‘आया राम गया राम’ वाक्य का इस्तेमाल किया गया था। इसके पीछे की कहानी विधायक गया लाल से जुड़ी है। गया लाल हरियाणा के पलवल जिले के हसनपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए थे। गया लाल ने उन्होंने एक ही दिन में तीन बार पार्टी बदली। पहले तो उन्होंने कांग्रेस का हाथ छोड़कर जनता पार्टी का दामन थाम लिया। फिर कुछ देर बाद वो कांग्रेस में वापस शामिल हो गए। करीब 10 घंटों में उन्होंने तीन बार अपना पाला बदला था।
राव बीरेंद्र सिंह उनको लेकर चंडीगढ़ पहुंचे:
तीन बार पार्टी बदल लेने के बाद भी जब गया राम का मन स्थिर नहीं हुआ तो कांग्रेस के तत्कालीन नेता राव बीरेंद्र सिंह उनको लेकर चंडीगढ़ पहुंचे और वहां एक प्रेस वार्ता की। उस प्रेस वार्ता में कांग्रेस के नेता राव बीरेंद्र ने उस मौके पर कहा था, ‘गया राम अब आया राम हैं।’ इस घटना के बाद से भारतीय राजनीति में दलबदलुओं के लिए ‘आया राम, गया राम’ वाक्य का इस्तेमाल होने लगा।
क्यों बदल लेते है नेता अपना दल:
किसी भी पार्टी में नेता उसकी विचारधारा को समझकर ही शामिल होते है। हर पार्टी की अपनी एक विचारधारा होती है। लेकिन आजकल भारतीय राजनीति में नेताओं के लिए पार्टी बदलनी बेहद आम बात हो गई है। जब किसी नेता को पार्टी में सम्मान या तवज्जों नहीं मिलती है तो वो एक दिन झटके में पाला बदल लेते हैं। इसके लिए ‘आया राम गया राम’ वाक्य का भी इस्तेमाल होता है।
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