प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को आदि शंकराचार्य (Adi Shankaracharya) की प्रतिमा का उत्तराखंड के केदारनाथ (Kedarnath) में अनावरण किया. इस दौरान पीएम मोदी ने आदि शंकराचार्य के समाज और धर्म के लिए किए कार्यों का बखान किया.
पीएम मोदी (PM Modi) ने कहा कि एक समय था जब आध्यात्म को रूढ़िवाद से जोड़कर देखा जाने लगा था, लेकिन आदि शंकराचार्य ने समाज को सत्य से परिचित कराने का काम किया. उन्होंने पवित्र मठों, चारधामों की स्थापना की. द्वादश ज्योतिर्लिंग की पुनर्जागरण का काम किया. हमारे लिए धर्म क्या है, धर्म और ज्ञान का संबंध क्या है, ये बताने का काम किया.
आज के इस दौर में आदि शंकराचार्य जी के सिद्धांत और ज्यादा प्रासंगिक हो गए हैं। pic.twitter.com/28TrxM8i0x
— Narendra Modi (@narendramodi) November 5, 2021
मैसूर के अरुण योगीराज ने बनाई प्रतिमा
जानकारी के मुताबिक आदि शंकराचार्य की प्रतिमा (Adi Shankaracharya Statue) 12 फुट ऊंची है. जिसका वजन 35 टन है. प्रतिमा बनाने वाले अरुण योगीराज कर्नाटक के मैसूर के रहने वाले हैं. जिन्होंने बताया कि बीते 9 महीने से रोजाना 14-15 घंटे उन्होंने काम किया, तब जाकर ये प्रतिमा बनकर तैयार हुई. उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि मुझे आदि शंकराचार्य की प्रतिमा (Adi Shankaracharya Statue) बनाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ और पीएम मोदी ने इसका अनावरण किया.
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ओंकारेश्वर में स्थापित होगी आदि शंकराचार्य की प्रतिमा
वहीं मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) ने कहा है कि मध्य प्रदेश के ओंकारेश्वर में भगवान आदि शंकराचार्य की विशाल प्रतिमा लगाने का काम प्रारंभ हो रहा है. अद्वैत वेदांत संस्थान की स्थापना भी वहीं की जा रही है, जो अद्वैत के सिद्धांत को जन-जन तक पहुंचाने का काम करेगा.
महाकाल महाराज के प्रांगण को विकसित करने के अनेक काम चल रहे हैं और ओंकारेश्वर में भगवान शंकराचार्य की विशाल प्रतिमा लगाने का कार्य प्रारंभ हो रहा है।
मध्यप्रदेश की इस पवित्र धरती पर अपनी परंपराओं, जीवन मूल्य और संस्कृति के काम को आगे ले जाने का समस्त कार्य होगा। pic.twitter.com/MGSGEL2qvQ
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) November 5, 2021
108 फीट ऊंची होगी प्रतिमा
बता दें कि मध्य प्रदेश में नर्मदा नदी के तट पर स्थित ओंकारेश्वर (Omkareshwar) वही जगह है, जहां केरल से लंबी पदयात्रा कर आदि शंकराचार्य वहां पहुंचे थे. जहां उन्होंने गुरु गोविंदपाद से योग शिक्षा और अद्वैत ब्रह्म ज्ञान प्राप्त किया था. तीन साल अद्वैत तत्व की साधना करने के बाद गुरु आज्ञा से उन्होंने काशी विश्वनाथ प्रस्थान किया था. जानकारी के मुताबिक खंडवा जिले में स्थित ओंकारेश्वर में आदि शंकराचार्य की जो प्रतिमा स्थापित की जा रही है, उसकी ऊंचाई 108 फीट है.
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32 साल की उम्र में ली समाधि
आदि शंकराचार्य (Adi Shankaracharya) को भगवान शंकर का अवतार माना जाता है. केरल में जन्मे आदि शंकराचार्य जब तीन साल के थे तब उनके पिता का देहांत हो गया. 6 साल की उम्र में ही आदि शंकराचार्य ने वेद और उपनिषद का ज्ञान हासिल कर लिया और मात्र 8 साल की उम्र में आदि शंकराचार्य संन्यासी बन गए. शास्त्रार्थ में आदि शंकराचार्य ने उस वक्त मंडन मिश्र और उनकी पत्नी को पराजित किया था, मंडन मिश्र एक ऐसे विद्वान थे जिनके घर की पालतू मैना भी वेद मंत्रों का उच्चारण करती थी. सनातन धर्म को पुन: स्थापित और प्रतिष्ठित करने वाले आदि शंकराचार्य ने चार मठों की भी स्थापना की. 32 साल की उम्र में केदारनाथ के पास उन्होंने समाधि ली.
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