कमिश्नरी सिस्टम (Police Commissionerate System) लागू करने का चलन बीते कुछ सालों में यूं बढ़ा है कि उत्तर प्रदेश के बाद अब मध्य प्रदेश सरकार ने भी दो बड़े महानगरों में कमिश्नरी सिस्टम लागू करने का फैसला लिया है. ऐसे में ये जानना जरूरी है कि आखिर इसके तहत क्या बदलाव होते हैं और इसकी जरूरत क्या है.
मध्य प्रदेश के दो महानगरों में कमिश्नरी सिस्टम
ये सारी बातें समझने से पहले ये जान लेते हैं कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ये ऐलान किया है कि इंदौर और भोपाल में कमिश्नरी प्रणाली लागू होगी. उन्होंने वीडियो संदेश जारी कर कहा कि प्रदेश में कानून-व्यवस्था की स्थिति काफी बेहतर है, पुलिस अच्छा काम कर रही है, लेकिन महानगरों का विस्तार हो रहा है, जनसंख्या भी लगातार बढ़ रही है.
प्रदेश के 2 बड़े महानगरों में राजधानी भोपाल और स्वच्छ शहर इंदौर में हम पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू कर रहे हैं।
प्रदेश में कानून और व्यवस्था की स्थिति बेहतर है पुलिस अच्छा काम कर रही है। पुलिस और प्रशासन ने मिलकर कई उपलब्धियां हासिल की हैं, लेकिन शहरी जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है। pic.twitter.com/z41S7EB9NF
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) November 21, 2021
सीएम शिवराज सिंह चौहान ने किया ऐलान
इसलिए कानून-व्यवस्था की कुछ नई समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं, इसलिए उनके समाधान और अपराधियों पर नियंत्रण के लिए हमने फैसला लिया है कि प्रदेश के दो बड़े महानगरों में पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू कर रहे हैं, ताकि अपराधियों पर और बेहतर नियंत्रण कर सकें. इन दो बड़े महानगरों में मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल और देश का सबसे स्वच्छ शहर इंदौर शामिल है.
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कमिश्नरी सिस्टम में ये होता है बदलाव
आसान भाषा में समझें तो ये एक ऐसा सिस्टम(Police Commissionerate System) है, जिसमें सारी शक्तियां पुलिस आयुक्त जिसे कमिश्नर कहते हैं, उनके पास होती है. आम तौर पर किसी जिले में द्वैध शासन व्यवस्था होती है. यानि कि डीएम और एसपी होते हैं, जिससे बड़े महानगरों में किसी भी आदेश को लागू करने में ज्यादा वक्त लगता है, जबकि कमिश्नरी सिस्टम में पुलिस आयुक्त को ही फैसला लेना होता है.
पुलिस आयुक्त के पास होते हैं ये अधिकार
पुलिस आयुक्त के पास अपने क्षेत्र में लाइसेंस जारी करने और किसी कार्यक्रम की अनुमति देने या न देने का अधिकार होता है. पूरी तरह से उस क्षेत्र में कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी पुलिस आयुक्त की होती है, जो सीधा राज्य सरकार को रिपोर्ट करता है. बड़े महानगरों में जहां त्वरित फैसले लेने की ज्यादा जरूरत होती है, वहां कमिश्नरी सिस्टम काफी लाभदायक भी है. हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार ने राजधानी लखनऊ और नोएडा में कमिश्नरी सिस्टम लागू करने का फैसला लिया था. वहां भी अभी यही सिस्टम लागू है. हालांकि इसका एक नुकसान ये भी है कि सारी शक्तियां किसी एक व्यक्ति के पास होने से निरंकुश होने का खतरा बना रहता है, ऐसा इस व्यवस्था के आलोचक मानते हैं.
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आजादी के पहले भी था कमिश्नरी सिस्टम
इतिहास की बात करें तो साल ब्रिटिश सरकार ने अपने शासनकाल में पहले पुलिस कमिश्नर की नियुक्ति की थी. मतलब पहली बार 1856 में पुलिस कमिश्नर सिस्टम(Police Commissionerate System) लागू हुआ था. धीरे-धीरे कई शहरों में ये सिस्टम लागू हुआ. आजादी के बाद कमिश्नरी सिस्टम को लेकर सरकार ने कई आयोग भी बनाएं, जिन्होंने बढ़ती जनसंख्या को देखते हुए कई महानगरों में इस सिस्टम को लागू करने की अनुंशसा की.
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