आम बोलचाल की भाषा में आपने गांव से लेकर शहर तक कमेटी(Committee)का नाम कई बार सुना होगा. क्या कभी सोचा है आपने कि आखिर ये कमेटी होती है क्या है, इस कमेटी का काम क्या होता है. इस कमेटी को हिंदी में समिति कहते हैं. जो कई लोगों को समूह होता है. अक्सर आप सुनते होंगे कि सरकार से कमेटी बनाने की मांग की जा रही है. हाल ही में एमएसपी गारंटी पर कमेटी बनाने की मांग उठ रही है, ऐसे में किसी खास विषय पर विचार या सुझाव के लिए बना लोगों का समूह ही समिति है.
लोक लेखा समिति के 100 साल पूरे होने पर समारोह का आयोजन
अब समिति से आगे बात आती है कि आखिर सरकार में इसका क्या योगदान है तो इसे समझने के लिए संवैधानिक व्यवस्थाओं का समझना जरूरी है. हो सकता है आप से सोच रहे हों कि अचानक से समिति या कमेटी की बात क्यों तो जानकारी के लिए बता दें कि संसद भवन में लोक लेखा समिति के 100 साल पूरे होने पर एक समारोह का आयोजन किया गया है, जिसमें राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के साथ-साथ कई देशों के अतिथियों को भी शामिल होने का न्यौता दिया गया है. ऐसे में ये समझना जरूरी है कि आखिर ये समिति है क्या और इसके काम क्या है.
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सरकार के खर्च की समीक्षा करती है लोक लेखा समिति
आम तौर पर सरकार के पास कई तरह के कामकाज होते हैं, जिनके लिए समितियों की जरूरत पड़ती है. आसान भाषा में समझें तो ये समितियां दो तरह की होती हैं, एक स्थायी और दूसरी अस्थायी. इनमें भी कई प्रकार होते हैं लेकिन हम बात करेंगे लोक लेखा समिति की. यह स्थायी समिति का एक पार्ट है. जिसका कार्यकाल एक साल का होता है. इसका काम सरकार के वित्तीय लेखा-जोखा का निरीक्षण करना होता है. एक तरह से ये समझिए कि सरकार कहां-कहां पैसे खर्च कर रही है, वह सही जगह खर्च हो रहे हैं या नहीं ये यही समिति देखती है.
कैग की रिपोर्ट के आधार पर करती है समीक्षा
अक्सर आप सुनते होंगे कि कैग(CAG) की रिपोर्ट से किसी घोटाले का खुलासा हुआ. आम तौर पर कैग जिसे भारतीय नियंत्रक महालेखा परीक्षक कहते हैं, फिलहाल गिरीश चंद्र मुर्मू इसकी जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. उसकी रिपोर्ट यही समिति पढ़ती है. दरअसल कैग अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंप देता है, जिसके बाद लोक लेखा समिति(Public Accounts Committee) रिपोर्ट लेकर पढ़ती है और नए-नए घोटाले या फिर वित्तीय अनियमितताओं का खुलासा होता है. कभी-कभी सीधे कैग रिपोर्ट से बातें सामनें आ जाती हैं. खास बात ये है कि इस समिति के सभापति विपक्षी दल के नेता होते हैं. ये प्रावधान भी 1967 के बाद आया है. जिससे सरकार की फिजूलखर्ची पर खूब हंगामा खड़ा होता है.
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कैसे होता है लोक लेखा समिति का गठन
दरअसल संसद के अलग-अलग कामों के लिए अलग-अलग समितियां गठित होती है. स्थायी समितियों की बात करें तो इसमें छह तरह की समितियां हैं, उन्हीं में से एक है वित्तीय समितियां. इन वित्तीय समितियों को तीन भागों में बांटा गया है. जिनमें पहला है प्राक्कलन समिति, दूसरा- लोक लेखा समिति(Public Accounts Committee) और तीसरा लोक उपक्रम समिति. प्राक्कलन समिति सबसे बड़ी स्थायी समिति होती है जिसमें सिर्फ लोकसभा के 30 सदस्य होते हैं और ये खर्चों का आंकलन करती है. जबकि लोक लेखा समिति(Public Accounts Committee) में 15 लोकसभा और 7 राज्यसभा के सदस्य होते हैं. इसका गठन 1921 में किया गया था, इसिलिए यह सबसे पुरानी समिति है. इस समिति का काम तो आप समझ ही चुके हैं. इसिलिए इसे प्राक्कलन समिति की जुड़वां बहन कहते हैं. क्योंकि प्राक्कलन समिति जहां आंकलन करती है तो ये उसकी निगरानी करती है. इसके अलावा सरकारी कंपनियों की जांच के लिए लोक उपक्रम समिति होती है.
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संसद भवन में शताब्दी समारोह का आयोजन
अब इसी लोक लेखा समिति(Public Accounts Committee) के 100 साल पूरे होने पर संसद भवन में 4-5 दिसंबर तक शताब्दी समारोह का आयोजन किया गया है. जिसमें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति सह राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडु, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और लोक लेखा समिति के चेयरमैन अधीर रंजन चौधरी इसमें शामिल होंगे. इसके अलावा बोत्सवाना, घाना, कैमरून, केन्या, मालदीव और युगांडा समेत कई देशों के अतिथी भी इस समारोह में हिस्सा लेंगे.
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