Arvind Trivedi Death: हाल ही में टीवी कलाकार तारक मेहता का उल्टा चश्मा के नट्टू काका के निधन से पूरी एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री शोक में थी। अब एक और बुरी खबर सामने आ रही है। रामायण के रावण अरविंद त्रिवेदी का मंगलवार रात को दिल का दौरा पड़ने से निधन (Arvind Trivedi Death) हो गया। बता दें अरविंद त्रिवेदी काफी समय से बीमार चल रहे थे, मगंलवार को उन्होंने 83 साल की आयु में अंतिम सांस ली। उनके निधन से बॉलीवुड से लेकर टीवी की दुनिया के कलाकारों में काफी दुख है।
रावण (Ravan of Ramayan) के रूप से मिली थी पहचान:
अरविंद त्रिवेदी ने रामानन्द सागर की रामायण में रावण का किरदार निभाया था। उनके इस किरदार को जब कोई आज भी देखता है तो बहुत प्रभावित होता है। अभी लॉकडाउन में घर-घर में एक बार फिर लोगों ने रामानन्द सागर की रामायण देखी थी। त्रिवेदी की अभिनय की सबसे ज्यादा तारीफ़ की गई थी। रामायण (Ravan of Ramayan) के अलावा ‘विक्रम और बेताल’ में उनके अभिनय की काफी सराहना की गई थी। त्रिवेदी ने कम से कम 300 हिंदी और गुजराती फिल्मों में काम किया।
मध्य प्रदेश के उज्जैन में हुआ था अरविंद त्रिवेदी का जन्म:
अगर उनके जीवन परिचय की बात करें तो उनका जन्म मध्य प्रदेश के उज्जैन में हुआ था। लेकिन उन्होंने अपने करियर की शुरुआत गुजराती रंगमंच से की थी। अरविंद त्रिवेदी अपने अभिनय की कला से हर किसी को अपना मुरीद बना लेते थे। उनेक भाई गुजराती सिनेमा के सबसे चर्चित नामों में शुमार थे। उन्होंने करीब 40 वर्षों तक गुजराती सिनेमा की धार्मिक और सामाजिक फिल्मों में खूब काम किया था। अपने शानदार अभिनय कला के कारण उनको कई पुरस्कार भी मिले थे।
कई बार उड़ चुकी थी मौत की अफवाह:
बता दें सोशल मीडिया पर उनके निधन की अफवाह कई बार उड़ी थी। कोरोना लॉकडाउन के समय डीडी पर एक बार फिर रामायण का प्रसारण किया गया था। उस समय जो लोग उनको नहीं जानते थे उन्होंने भी उनके अभिनय को देखकर ताज्जुव किया था। अरविंद त्रिवेदी के लंबे समय से बीमार रहने की वजह से कई बार मौत की अफवाह भी उड़ चुकी थी। सोशल मीडिया पर आज कल कई लोगों ने इसको ट्रेंड ही बना लिया जब भी कोई शख्सियत बीमार होती है तो उसके निधन की अफवाह उड़ाना शुरू कर देते है। ऐसी ही अफवाह अरविंद त्रिवेदी के लिए भी काफी बार उड़ाई गई थी।
गुजरात के साबरकांठा से जीता सांसद का चुनाव:
आपको बता दें रामायण के रावण से उनको इतनी पहचान मिली की भाजपा ने उन्हें लोकसभा का टिकट भी मिला था। उन्होंने 1991 गुजरात के साबरकांठा से सांसद का चुनाव जीतकर राजनीति में एंट्री की थी। हालांकि उसके बाद उन्होंने राजनीति की तरफ ज्यादा ध्यान नहीं दिया। 1991 से 1996 के बीच वो बीजेपी से सांसद रहे।
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