महाभारत का जिक्र होते ही पांडवों और कौरवों की लड़ाई के अलावा जिस चीज का जिक्र होता है वह है भीष्म प्रतिज्ञा(Bhishma Pratigya). एक ऐसी अटल प्रतिज्ञा जिसके लिए कुछ भी करना करे पड़े तो भीष्म पितामह(Bhishma Pitamah) आजीवन तैयार रहे लेकिन उन्होंने अपनी प्रतिज्ञा नहीं टूटने दी. उनके जीवन काल में एक ऐसा भी समय आया जब अपने ही गुरु परशुराम से उन्हें युद्ध करना पड़ा. गुरु-शिष्य के बीच हुए भीषण युद्ध(Bhishma-Parshuram Yudh) की कहानी कुछ इस प्रकार है.
स्वयंवर से किया था तीन कन्याओं का हरण
आजीवन ब्रह्मचारी रहने का संकल्प लेने वाले भीष्म पितामह(Bhishma Pitamah) एक दिन काशी में हो रहे स्वयंवर में जा पहुंचे. जहां काशी के महाराज ने अपनी तीन पुत्रियों अंबा, अंबिका और अंबालिका की शादी के लिए स्वयंवर रचाया था. यहां पहुंचते ही भीष्म पितामह ने काशी के राजा के सैनिकों को पराजित कर तीनों कन्याओं को उठा लिया. हालांकि भीष्म पितामह खुद शादी नहीं करना चाहते थे बल्कि उन्होंने अपने भाई विचित्रवीर्य के लिए ऐसा किया था.
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अंबा ने भगवान परशुराम को बताई सारी व्यथा
रास्ते में जब भीष्म पितामह(Bhishma Pitamah) इन्हें लेकर जा रहे थे तो अंबा ने कहा कि वह मन ही मन किसी और को अपना पति मान चुकी है. जिसके बाद भीष्म ने उसे छोड़ दिया, जब वह शाल्व (जिससे वह प्रेम करती थी) के पास पहुंची तो शाल्व ने उसे अपनाने से इनकार कर दिया. इस बात का अंबा को इतना दुख हुआ कि उसने संन्यासी बनने की ठान ली. लेकिन उसी वक्त साधु-संतों ने उसे भगवान परशुराम के पास जाने की सलाह दी. उसने परशुराम(Parshuram) के पास पहुंचकर सारी बातें बताईं.
गुरु-शिष्य के बीच हुआ भीषण युद्ध
भगवान परशुराम(Lord Parshuram) ने अंबा की व्यथा सुनकर भीष्म को बुलावा भेजा. भीष्म जैसे ही पहुंचे तो परशुराम ने कहा कि अंबा से शादी करो लेकिन अपनी प्रतिज्ञा की वजह से भीष्म ने ऐसा करने से इनकार कर दिया. जिससे गुस्साए परशुराम ने कहा कि तुम्हें मेरे साथ युद्ध करना होगा. जिसके बाद गुरु और शिष्य के बीच लंबा युद्ध चला आखिरकार दोनों महान योद्धा थे, युद्ध का अंत ही नहीं हो रहा था.
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अंबा ने दिया था श्राप
जिसके बाद देवताओं की आज्ञा से परशुराम ने हथियार रख दिया. दोनों के बीच युद्ध खत्म हुआ और भीष्म अपनी प्रतिज्ञा पर अडिग रहे. लेकिन अंबा इस बात से इतनी क्रोधित हुई कि उसने भीष्म को श्राप दिया कि तुम्हारी मृत्यु का कारण मैं ही बनूंगी, अगले जन्म में अंबा ने शिखंडी के रूप में जन्म लिया, जिसके सहारे महाभारत(Mahabharat) के युद्ध में अर्जुन(Arjun) ने भीष्म पितामह का वध किया.
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