नमस्ते चित्रगुप्ते, यमपुरी सुरपूजिते
लेखनी-मसिपात्र हस्ते, चित्रगुप्त नमोस्तुते
दिवाली के ठीक एक दिन बाद कई जगहों पर चित्रगुप्त पूजा (Chitragupta Puja 2021) की मान्यता है. इस दिन लोग भगवान चित्रगुप्त की पूजा के साथ कलम-दवात की पूजा करते हैं. हो सकता है कलम-दवात के बारे में आप नहीं जानते हों तो पहले इसके बारे में जानते हैं उसके बाद पूजा-अर्चना की विधि और भगवान चित्रगुप्त (Chitragupta Puja 2021) के जन्म की कहानी के बारे में जानेंगे.
कलम-दवात की होती है पूजा
दरअसल पुराने जमाने में जब दुनिया इतनी हाइटेक नहीं थी, स्टेशनरी पर बॉल पेन नहीं मिलते थे, कीबोर्ड का जमाना नहीं था तब लोग लिखने के लिए कलम-दवात का इस्तेमाल करते थे. दफ्तरों, अदालतों तक और घरों तक में लिखने के लिए इसी का इस्तेमाल होता है. जिसमें एक खास किस्म की लकड़ी से बनी कलम और कांच की शीशी को दवात कहते थे. कांच की शीशी में भरी स्याही में डूबोकर शरपत या नरकुल की लकड़ी लिखा करते थे. हालांकि अब इसका जमाना तो नहीं रहा लेकिन अब कलम-दवात (Kalam-Dawat) की पूजा का चलन अब भी है.
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भगवान चित्रगुप्त के जन्म की कहानी
कलम-दवात की पूजा के पीछे भी पौराणिक मान्यता है, जो भगवान चित्रगुप्त (Chitragupta Puja 2021) के जन्म से जुड़ी है. पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक ब्रह्मा जी ने एक बार भगवान सूर्य से कहा कि वह समाधिस्थ होने जा रहे हैं, ऐसे में पूरी सृष्टि की जिम्मेदारी आप संभालें. ऐसा कहकर ब्रह्मा जी समाधिस्थ हो गए, लेकिन समाधि टूटी तो उन्होंने देखा कि उनके सामने एक दिव्य पुरूष कलम और दवात लिए खड़ा है. जिस पर ब्रह्मा जी ने दिव्य पुरूष का परिचय पूछा तो दिव्य पुरूष ने बताया कि मेरा जन्म आपकी ही काया से हुआ है, आप मेरा नामकरण करें और किसी कार्य की जिम्मेदारी दे. इस पर ब्रह्मा जी ने कहा कि चूंकि तुम्हारा जन्म हमारी काया से हुआ है इसलिए तुम्हारा नाम कायस्थ (Kayasth) रखता हूं, धरती पर तुम्हें लोग चित्रगुप्त नाम से जानेंगे और तुम्हारा काम यमराज के दरबार में मानव कार्यों और उनके जीवन-मृत्यु का लेखा-जोखा रखना होगा.
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देवलोक में धर्म के अधिकारी हैं चित्रगुप्त
तभी से भगवान चित्रगुप्त (Chitragupta Puja 2021) को देवलोक में धर्म का अधिकारी कहा जाने लगा. इसके अलावा ये भी कहा जाता है कि समुद्र मंथन से भगवान चित्रगुप्त का जन्म हुआ, साथ ही ये बातें भी सामने आती हैं कि त्रिदेवों के तेज से हाथों में कलम-दवात लिए दिव्यपुरूष का जन्म हुआ, जिन्हें भगवान चित्रगुप्त के नाम से जाना गया. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि के दिन विशेषकर कायस्थ समाज के लोग इनकी पूजा-अर्चना करते हैं.
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इस बार ये है शुभ मुहूर्त
इस बार चित्रगुप्त पूजा (Chitragupta Puja 2021) 6 नवंबर को होगी. शनिवार दोपहर 1.15 से शाम 3.25 तक पूजा का शुभ मुहूर्त है, जबकि द्वितिया तिथि की बात करें तो 5 नवंबर 2021 शुक्रवार रात 11 बजकर 15 मिनट से 6 नवंबर 2021 शनिवार को शाम 7 बजकर 44 मिनट तक है. इसी तिथि में भैय्यादूज का त्यौहार मनाया जाता है और भगवान चित्रगुप्त (Chitragupta Puja 2021) की भी पूजा की जाती है.
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