पृथ्वी से हवा में मार करने वाली मिसाइल आकाश के एक नये (Akash Prime Missile) संस्करण (वर्जन) का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया है. 27 सितंबर 2021 को इसे ओडिशा में स्थित आईटीआर चांदीपुर से इसका सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया. इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह दुश्मन की मानव रहित हवाई टारगेट को पलक झपकते नष्ट कर सकता है.
एकीकृत परीक्षण रेंज चांदीपुर से आकाश प्राइम के परीक्षण के दौरान इस मिसाइल (Akash Prime Missile) ने अपनी पहली ही उड़ान में अपने टारगेट को खत्म कर दिया. दरअसल दुश्मन के विमान की शक्ल में एक मानव रहित हवाई लक्ष्य इसके लिए बनाया गया था, जिसे इसने नष्ट कर दिया.
DRDO today conducts Successful Maiden Flight Test of Akash Prime Missile from Integrated Test Range (ITR), Chandipur, Odisha. pic.twitter.com/QlvMHtTWVj
— DRDO (@DRDO_India) September 27, 2021
आकाश प्राइम ज्यादा सटीक लगाएगा निशाना
जानकारी की बात ये है कि आकाश पहले से ही हमारे पास मौजूद है, लेकिन ये आकाश की एडवांस टेक्नोलॉजी (Akash Prime Missile) है. जो आकाश की तुलना में औऱ ज्यादा सटीक निशाना लगाएगा, इसके लिए बकायदा इसे स्वदेशी सक्रिय रेडियो फ्रीक्वेंसी से लैस किया गया है. इसके अलावा इसमें और भी कई सुधार किए गए हैं. मतलब हिंदुस्तान की तरफ बुरी नजर रखने वाले दुश्मनों के विमानों पर अब आकाश प्राइम ( Akash Prime Missile) ज्यादा सटीक तरीके से निशाना लगाने में सक्षम होगा.
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रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने दी बधाई
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ, भारतीय सेना और भारतीय वायुसेना को आकाश प्राइम मिसाइल (Akash Prime Missile) के सफल परीक्षण के लिए बधाई दी है. वहीं डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. जी सतीश रेड्डी ने भी अपनी टीम को बधाई दी है, उन्होंने कहा है कि यह भारतीय सेना और वायुसेना के विश्वास को और बढ़ावा देगी.
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इससे पहले आकाश-एनजी का हुआ था परीक्षण
जहां तक पहले से मौजूद आकाश मिसाइल की बात है तो इससे पहले आकाश-एनजी (न्यू जेनेरेशन) मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया था. इस मिसाइल की खास बात ये थी कि ये आकाश का नया संस्करण था, जो करीब 60 किलोमीटर दूर स्थित टारगेट को निशाना बना सकती है. जहां तक आकाश मिसाइल के अन्य संस्करण की बात है तो फिलहाल भारत के पास आकाश-एमके, आकाश एमके-2 और आकाश एनजी मौजूद है.
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पहली स्वदेश निर्मित मिसाइल है आकाश
जहां तक आकाश की बात है यह भारत की पहली स्वदेश निर्मित मध्यम श्रेणी की जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल है, जो कई दिशाओं में कई लक्ष्यों को निशाना बना सकती है. मतलब एक साथ यह कई टारगेट को भेद सकती है. इसकी सबसे बड़ी खास बात ये है कि इसमें 90 प्रतिशत तक लक्ष्य भेदने की सटीक संभावना है, यानि दस प्रतिशत ही ऐसी संभावना है कि टारगेट को ये मिसाइल न भेद सके. बड़ी बात ये भी है कि आकाश संस्करण की मिसाइलें अमेरिकी पैट्रियट मिसाइल की तुलना में सस्ती भी हैं और टारगेट को भेदने में ज्यादा सटीक भी. ध्वनि की गति से ढाई गुना ज्यादा तेज गति से यह लक्ष्य को भेद सकती हैं.
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IGMDP के तहत विकसित की जा रही मिसाइल
सबसे खास बात यह है कि इसे IGMDP के तहत विकसित किया गया है. IGMDP को हिंदी में एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम कहते हैं. जिसका विचार प्रसिद्ध वैज्ञानिक और भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने दिया था. इसके तहत अब तक पांच मिसाइलें (पृथ्वी, अग्नि, त्रिशुल, नाग और आकाश) विकसित की गईं हैं. इनमें से आकाश और त्रिशुल जमीन से आकाश में मार करने वाली मिसाइल हैं. अब आकाश का ये नया संस्करण सफलतापूर्वक लॉन्च हुआ है, जिससे सेना को मजबूती मिलेगी.
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