84 लाख योनियों में से किसी भी योनि में जन्म लेने वाला प्राणी मोक्ष प्राप्ति की चाह रखता है. इनमें से मनुष्य पूजा-पाठ और भगवान का सुमिरण कर मोक्ष की प्राप्ति कर सकते हैं. यूं तो साल में 24 एकादशी होते हैं लेकिन मार्गशीर्ष (अगहन) मास की शुक्लपक्ष की एकादशी(Ekadashi 2021) तिथि का अपना अलग ही महत्व है.
व्रत करने से होती है मोक्ष की प्राप्ति
पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस व्रत को करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए. इस बार ये व्रत 14 दिसंबर को है. एकादशी तिथि की सुबह ब्राह्म मुहूर्त में उठकर स्नानादि से निवृत हो भगवान विष्णु की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है.
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इस बार ये है व्रत और पारण का शुभ मुहूर्त
13 दिसंबर की रात 9.32 बजे से 14 दिसंबर की रात 11.5 बजे तक एकादशी तिथि है. यानि मोक्षदा एकादशी(Mokshada Ekadashi) का व्रत 14 दिसंबर को है. 14 दिसंबर को सुबह पूजा करने के बाद एकादशी व्रत कथा जरूर पढ़ें. उसके बाद 15 दिसंबर की सुबह 7 बजकर 5 मिनट के बाद आप पारण कर सकते हैं, यानि व्रत खोल सकते हैं.
एकादशी व्रत कथा
प्राचीन काल की बात है गोकुल में वैखानस नाम के राजा राज्य करते थे. एक रात उन्होंने सपने में देखा कि उनके पिता नरक में यातनाएं भोगने को मजबूर हैं. अपने पिता की ऐसी हालत देखकर राजन से रहा नहीं गया और दूसरे ही दिन उन्होंने राज पुरोहित और विद्वानों को बुलाया और उनसे पूछा कि इसका क्या उपाय है. राज पुरोहित ने कहा कि त्रिकालदर्शी पर्वत महात्मा ही इसका कोई उपाय बता सकते हैं.
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त्रिकालदर्शी महात्मा ने बताया मोक्षदा एकादशी का महत्व
राज पुरोहित राजा को साथ लेकर त्रिकालदर्शी महात्मा के पास पहुंचे. जहां राजा ने सारी बातें कह सुनाई. उसके बाद महात्मा ने कहा कि उनके पिता पूर्वजन्म में किए पाप की वजह से नरक की यातनाएं भोग रहे हैं. जिस पर राजा ने महात्मा से इसकी मुक्ति का उपाय पूछा तो महात्मा ने बताया कि मार्गशीर्ष महीने की शुक्लपक्ष की एकादशी तिथि(Ekadashi Vrat) का व्रत करें तो इसके पुण्य के प्रभाव से आपके पिता को इससे मुक्ति मिलेगी.
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राजा ने घर पहुंचकर विधि-विधान से पूजा-अर्चना की और मोक्षदा एकादशी(Mokshada Ekadashi) का व्रत किया, जिसके बाद उनके पिता को नरक की यातनाओं से मुक्ति मिली और उन्होंने राजा को आशीर्वाद दिया.
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