अभी जिस ग्रह पर लोग सुकून की जिंदगी जी रहे हैं, जिसके अलावा किसी और ग्रह पर ऐसी जिंदगी संभव नहीं है. उस ग्रह के नाम के बारे में क्या कभी सोचा है आपने, कि आखिर इसे हम पृथ्वी ही क्यों कहते हैं. अगर नहीं तो हम आपको बताते हैं कि आखिर इसके पीछे की वजह क्या है. यूं तो पृथ्वी को लेकर कई तरह के तथ्य (Facts About The Earth) भी हैं और किस्से भी हैं. लेकिन हम तथ्यों पर नहीं बल्कि उन कहानियों के बारे में बात करेंगे जिसे लेकर कहा जाता है कि नामकरण के पीछे ये वजह है.
पृथ्वी को लेकर ये है कहानी
जैसे इंडिया का नाम भारत रखे जाने के पीछे कई कहानियां हैं, लोग कहते हैं राजा भरत के नाम पर भारत का नाम रखा गया ठीक उसी तरह पृथ्वी को लेकर भी एक पौराणिक कहानी (Mythology About Earth) है. कहा जाता है कि प्राचीन काल में वेन के पुत्र पृथु नाम के एक राजा हुआ करते थे. जो इतने प्रतापी थे कि उन्हें पृथ्वी का पहला राजा कहा जाता है. उनके जन्म के पीछे भी एक कहानी है.
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महाराज पृथु के नाम पर हुआ नामकरण
कहा जाता है कि वेन ने यज्ञ वगैरह बंद करवा दिए, जिसकी वजह से ऋषियों ने मंत्रों के प्रभाव से वेन को मार दिया. लेकिन उसके बाद उनके भुजाओं के मंथन से एक पुरुष और एक स्त्री उत्पन हुई. जिनका नाम पृथु और अर्चि हुआ. बाद में ये पति-पत्नी हुए और इन्हें विष्णु-लक्ष्मी का अवतार माना गया. कहा जाता है कि महाराज पृथु ने ही पृथ्वी को समतल किया और उपज के लायक बनाया. कहते हैं महाराज पृथु ने लोगों के कल्याण के लिए कई काम किए. उन्होंने अश्वमेध यज्ञ किया लेकिन इंद्र ने वेश बदलकर कई बार घोड़ा चुराया. जिससे पृथु भी काफी नाराज हुए. उन्हीं के नाम पर पृथ्वी नाम पड़ा.
शेषनाग को लेकर भी हैं कहानियां
इसके अलावा पृथ्वी को लेकर और भी कई कहानियां हैं. कहा जाता है कि पृथ्वी को शेषनाग ने अपने फन पर धारण किया है. मतलब पृथ्वी शेषनाग के ऊपर टिकी है. इस बात का वर्णन कई पौराणिक कथाओं में भी मिलता है. प्राचीन काल में भूकंप के झटके महसूस किए जाने पर लोग ये कहा करते थे कि शेषनाग के करवट लेने से भूकंप के झटके महसूस होते हैं लेकिन विज्ञान ने इस बात को पूरी तरह से नकार दिया है. यानि धार्मिक मान्यताएं और वैज्ञानिक दृष्टिकोण दोनों एक दूसरे के बिल्कुल उलट हैं.
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