पाम तेल(Palm oil) के आयात को कम करने के लिए प्रधानमंत्री ने अहम फैसला लिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट और सीसीईए की मुख्य बैठक में पाम ऑयल मिशन(Palm Oil Mission) को मंजूरी दे दी गई है. इस पर 11 हजार करोड़ खर्च किए जाएंगे. कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि ताड़ की खेती अभी भी जारी है. लेकिन अब इसे बड़े स्तर पर करने की तैयारी है. उन्होंने कहा कि खाद्य तेल की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी छोटे किसानों के लिए ज्यादा फायदेमंद नहीं है. उत्तर पूर्व में कोई प्रसंस्करण उद्योग नहीं है. इसलिए अब सरकार ने राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन शुरू किया है. जिसमें पॉम ऑयल(Palm oil) की कीमत तय करने के लिए एक मैकेनिज्म तैयार किया जाएगा.
Union Cabinet has approved the implementation of National Mission on Edible Oils – Oil Palm with a financial outlay of Rs 11,040 crores: The focus is on increasing area and productivity of oilseeds and oil Palm: Union Minister Narendra Singh Tomar pic.twitter.com/o4MVEiaSd0
— ANI (@ANI) August 18, 2021
पाम ऑयल(Palm oil) मिशन
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि आज की कैबिनेट बैठक में 4 अहम फैसले लिए गए. एक तो सरकार पाम तेल की कीमत तय करेगी। वहीं दूसरी मंडी में उत्तर में तेजी आती है या किसान की फसल की कीमत घटती है तो सरकार मध्यम कीमत देगी यानी डीबीटी के जरिए किसानों को भुगतान करेगी. पाम ऑयल मिशन का मुख्य उद्देश्य पूर्वोत्तर राज्यों में 3.28 लाख हेक्टेयर और शेष भारत में 3.22 लाख हेक्टेयर को अगले 5 वर्षों में 11,040 करोड़ रुपये की कुल लागत के साथ कवर करना है.
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15 लाख टन खाद्य तेल की खरीद
आपको बता दें कि भारत की जनसंख्या में हर साल लगभग 2.5 करोड़ लोगों की वृद्धि हो रही है. इससे खाद्य तेल की खपत में सालाना 3 से 3.5 फीसदी की बढ़ोतरी होने की उम्मीद है. वर्तमान में, भारत सरकार ने 60,000 से 70,000 करोड़ रुपये की लागत से एक ही वर्ष में 1.5 करोड़ टन खाद्य तेल की खरीद की है. देश को सालाना करीब 2.5 करोड़ टन खाद्य तेल की जरूरत है.
देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए मोदी सरकार ने खाद्य तेल पर राष्ट्रीय मिशन को लागू करने के लिए एक बड़े फैसले की अनुमति दी है. देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए मोदी सरकार ने खाद्य तेल पर राष्ट्रीय मिशन को लागू करने के एक बड़े फैसले को मंजूरी दे दी है. खाद्य तेल की मांग को पूरा करने और उत्पादन बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार राज्यों के साथ मिलकर काम कर रही है और नतीजे आ रहे हैं.
रावी सीजन में लोगों तक अच्छी क्वालिटी की चीजें पहुंचाई गईं, जिससे उत्पादन बढ़ा. लेकिन भारत को अभी भी तेल आयात करना पड़ता है. जिसका सबसे बड़ा हिस्सा ताड़ का तेल है. कुल तेल आयात में पाम तेल की हिस्सेदारी 56 फीसदी है. आईसीआर ने कहा कि ताड़ की खेती 28 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में की जा रही है. इसका एक बड़ा हिस्सा उत्तर पूर्व में है.
किसानों को होगा फायदा
पाम तेल के कच्चे माल का दाम केंद्र सरकार तय करेगी और ये भी फैसला किया गया है कि अगर बाजार में उतार चढ़ाव आता है और किसान की फसल का मूल्य कम हुआ तो जो अंतर की राशि है वो केंद्र सरकार DBT के माध्यम से किसानों को भुगतान करेगी. केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के मुताबिक खेती के सामग्री में जो पहले राशि दी जाती थी उस राशि में भी बढ़ोतरी की गई है. पूर्वोत्तर क्षेत्र में लोग इंडस्ट्री लगा सके जिसके लिए इंडस्ट्री को भी 5 करोड़ रुपये की सहायता देने का फैसला किया गया है.
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