लंबे समय तक हिन्दुस्तान पर राज करने वाली ईस्ट इंडिया कंपनी का पहला जहाज (Hector) पूरे बेड़े के साथ आज ही के दिन हिन्दुस्तान पहुंचा था. पहली बार आज ही के दिन जहाज (Hector) के कैप्टन ने ये ऐलान किया था हम हिन्दुस्तान की धरती पर कदम रख चुके हैं, लेकिन वो ऐलान सिर्फ कारोबार के लिए था. कारोबार से कंपनी का रूझान ऐसा बढ़ा कि बात धीरे-धीरे सरकार तक पहुंच गई. उस वक्त के कई राजा-महाराजा और शासक ने अंग्रेजों को कारोबार की अनुमति दे दी तो कइयों ने साफ इनकार कर दिया. उस वक्त जहांगीर ने कैप्टन हॉकिन्स को भारत में व्यापार करने की अनुमति दी थी.
आज हम उसी इतिहास के बारे में आपको बता रहे हैं कि कैसे ईस्ट इंडिया कंपनी का पहला जहाज हेक्टर (Hector) हिन्दुस्तान पहुंचा और 1609 से 1947 तक अंग्रेजों का राज भारत में चलता रहा. दरअसल इससे पहले भारत में कई कंपनियां आईं और कुछ दिन कारोबार कर चली गईं, जिसमें डच, फ्रांसीसी और पुर्तगाल समेत कई हैं, लेकिन ईस्ट इंडिया कंपनी एक ऐसी कंपनी बन गई जिसने कारोबार के साथ-साथ सरकार भी चलाई और पूरे भारत पर कब्जा कर लिया.
1600 में हुई थी कंपनी की स्थापना
ये कहानी है 24 अगस्त 1608 की. हम सब जानते हैं कि ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना 1600 में ही हो गई थी लेकिन उन्हें व्यापार के लिए मुफीद जगह चुनना और राजा से अनुमति लेनी थी, जिसके लिए कैप्टन हॉकिन्स ईस्ट इंडिया कंपनी का पहला व्यापारिक जहाजी बेड़ा हेक्टर (Hector) लेकर सूरत पहुंचा, लेकिन अनुमति मिलने में सबसे बड़ी दिक्कत ये थी कि पुर्तगाली वहां पहले से व्यापार कर रहे थे.
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ब्रिटिश शाही परिवार का था संरक्षण
ऐसे में ब्रिटिश शाही परिवार का संरक्षण पाने वाली कंपनी को ब्रिटिश सरकार से भरपूर मदद मिली, उसी का खामियाजा ये हुआ कि कंपनी धीरे-धीरे भारत में अपनी कई फैक्ट्रियां स्थापित करती गईं. चूंकि कंपनी का कंट्रोल ब्रिटिश राज के हाथ में था इसलिए एक न एक दिन सत्ता ब्रिटिश हाथ में जाना तय था. करीब 250 साल बाद हुआ ऐसा ही जब हिन्दुस्तान में कंपनी राज को पूरी तरह समाप्त कर दिया गया और ये हुआ साल 1858 के चार्टर अधिनियम से.
1858 का चार्टर अधिनियम
दरअसल कंपनी और अंग्रेजों ने भारत में राज करने के लिए कई नियम कानून बनाए जिसे चार्टर अधिनियम कहा जाता है. सबसे पहले कंपनी ने साल 1773 से चार्टर अधिनियम लाना शुरू किया, जिसमें शासन कैसे चलेगा इसका उल्लेख था. तब उसे रेग्युलेटिंग एक्ट 1773 कहा गया. कुछ इसी तरह का चार्टर अधिनियम 1853 का था, जिसके तहत ये साफ हो गया था कि ब्रिटेन की सरकार कभी भी कंपनी की सत्ता अपने हाथों में ले सकती है.
भारत में कंपनी शासन खत्म
उसी बीच साल 1857 की क्रांति ने कंपनी के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी. उसके बाद साल 1858 का चार्टर अधिनियम आया जिसने भारत में कंपनी शासन समाप्त कर शासन की जिम्मेदारी ब्रिटिश संसद को दे दी. इसके अलावा इसमें और भी कई प्रावधान थे. इतिहास में जो गर्वनर जनरल और वायसराय की बातें आप पढ़ते हैं, वो भी इसी नियम के तहत था. जिसके तहत गर्वनर जनरल का नाम बदलकर वायसराय कर दिया गया. मतलब गर्वनर जनरल और वायसराय दोनों एक ही हैं. इसलिए आगे से इस मामले पर कंफ्यूज होने की जरूरत नहीं है.
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