Galwan Valley Clash: गलवान घाटी में चीन की ओर से विवादित जगह झंडा(China Hoists Flag) फहराए जाने की बात सुनकर विपक्ष सरकार पर हमलावर है. अपनी मातृभूमि पर किसी दूसरे देश के झंडे की बात सुनकर हर किसी का खून खौल उठता है, विपक्ष ने सरकार से जवाब मांगा तो वहीं हर देशवासी भी ये जानना चाहता है कि आखिर इस दावे की हकीकत क्या है.
Indian Army unfurls national flag in Galwan valley on New Year
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— ANI Digital (@ani_digital) January 4, 2022
मीडिया रिपोर्ट्स(Media Reports) की मानें तो सेना के सूत्रों ने जानकारी दी है कि चीन ने अपने क्षेत्र में झंडा फहराया. भारतीय सेना ने भी अब तस्वीर जारी की है, जिसमें गलवान घाटी में भारतीय सेना के जवानों ने तिरंगा फहराया.
गलवान घाटी में फिर विवाद
इस बात को समझने के लिए आपको बीते समय चीन(China) और भारतीय सेना (Indian Army) के बीच गलवान घाटी में हुई झड़प की यादों को ताजा करना होगा. दरअसल जून 2020 में भारतीय सेना और चीनी सेना के बीच लद्दाख की बर्फीली गलवान नदी के किनारे दोनों सेनाओं के बीच झड़प हुई थी.
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जिसमें भारत के कई सैनिक शहीद हुए थे तो वहीं चीन के भी कई सैनिकों को भारतीय सेना ने मार गिराया था. शुरुआत में चीन ने नुकसान की बात नहीं कबूली लेकिन बाद में उसने कहा था कि गलवान घाटी में हुई झड़प(Galwan Valley Clash) में उसे भी नुकसान हुआ था.
गलवान पर हमारा तिरंगा ही अच्छा लगता है।
चीन को जवाब देना होगा।
मोदी जी, चुप्पी तोड़ो!— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) January 2, 2022
चीनी सेना ने फहराया झंडा
अब चीनी मीडिया(China Media) ने दावा किया उस विवादित जगह पर नए साल(New Year 2022) के मौके पर चीनी सेना ने अपने देश का झंडा लहराया. इस बात को लेकर विपक्ष ने सरकार पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि चीन को जवाब देना ही होगा, मोदी जी चुप्पी तोड़ो. हालांकि अब ये जानकारी मिली है कि चीन ने अपने क्षेत्र में झंडा फहराया है, लेकिन इस झंडे की बात से अलग व्यापार की बात करें तो बीते दो सालों में चीन से भारत के कटू रिश्ते के बावजूद व्यापार बढ़ा है.
चीन के ऐसे विरोध का क्या मतलब
ये जानकर शायद आपका खून खौल उठे कि जिस चीनी सामान के बॉयकॉट(Boycott China) की बात हर बार होती है, वह सिर्फ बयानबाजी में सिमटकर रह जाता है. इकोनॉमिक टाइम्स की मानें तो 2014-2015 में भारत और चीन के बीच व्यापार(India-China Trade) जहां 60.41 बिलियन डॉलर का था तो वहीं 2020-21 में यह ब़ढ़कर 65.21 बिलियन डॉलर हो गया.
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हालांकि इसमें दिसंबर महीने का डाटा शामिल नहीं है. अब आप सोच सकते हैं कि जो चीन अपना प्रोपोगैंडा फैला रहा है, भारत के खिलाफ लगातार साजिशें रच रहा है, उससे तमाम विरोधों के बावजूद भारत का व्यापार(Trade) बढ़ता ही जा रहा है. हालांकि वो अलग बात है कि व्यापार बढ़ने के पीछे कई कारण हैं, फिर भी यूं कहें कि बॉयकॉट चीन(Boycott China) के नारे के बावजूद हम व्यापार को मजबूर हैं.
अरुणाचल प्रदेश के जगहों के बदले नाम
इससे पहले चीन ने अरुणाचल प्रदेश के कई जगहों के नाम भी बदल दिए, जिस पर भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि ये पहली बार नहीं है जब चीन ने ऐसी हरकत की है. साल 2017 में उसने ऐसा किया था. फिलहाल 15 जगहों के नाम बदले जाने की ख़बर सामने आई, जिसके बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग है, ये सच कभी नहीं बदलने वाला. बता दें कि 4 पर्वतों, वामो री, दाऊ री, ल्हुन्जुब री और कुन्मिंग्जिंगी फेंग समेत 15 जगहों के नाम बदले हैं.
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