बुधवार(Wednesday) का दिन हो फिर चतुर्थी तिथि(Ganesh Chaturthi 2021) भगवान गणेश की पूजा के लिए इससे शुभ दिन नहीं हो सकता. हर सप्ताह के बुधवार और हर महीने की चतुर्थी तिथि विशेष तौर पर भगवान गणेश को समर्पित है, जिस दिन श्रद्धालु विधि-विधान से भगवान गणेश की पूजा करते हैं. हालांकि उनकी पूजा में तुलसी(Tulsi) दल का इस्तेमाल वर्जित है.
भगवान गणेश की पूजा में नहीं होता तुलसी का इस्तेमाल
क्या आप जानते हैं कि आखिर भगवान गणेश(Lord Ganesha) को तुलसी प्रिय क्यों नहीं है. इसके पीछे की क्या पौराणिक मान्यता या कथा है. इस बारे में बताने से पहले ये जरूर जान लीजिए साल 2021 की आखिरी संकष्टी चतुर्थी आज यानि 22 दिसंबर को है. ऐसे में शुभ मुहूर्त में भगवान गणेश की पूजा(Ganesha Puja) करें और रात में चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित कर पारण करें.
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तुलसी न चढ़ाने की ये है पौराणिक कथा
हालांकि इस बात का विशेष ध्यान रखें कि भगवान गणेश को जो भोग लगाएं उसमें तुलसी दल न हो. एक बार की बात है भगवान गणेश गंगा किनारे तपस्या में लीन थे. उनकी मुख मुद्रा काफी आकर्षित करने वाली थी. उसी दौरान विवाह की इच्छा लिए तीर्थयात्रा पर निकली तुलसी वहां पहुंचीं और भगवान गणेश को देखकर मोहित हो गईं.
तुलसी ने भंग की थी तपस्या
तुलसी ने भगवान गणेश(Lord Ganesha) के समक्ष शादी का प्रस्ताव रखने के लिए उनकी तपस्या भंग कर दी. तपस्या भंग होने से नाराज गणेश भगवान ने कहा कि मैं ब्रह्माचारी हूं, जिससे कुपित होकर तुलसी ने गणेश को दो शादी का श्राप दिया, जबकि भगवान गणेश ने कहा कि तुम्हारी संतान कोई राक्षस होगा, जिस पर तुलसी ने माफी मांगी लेकिन तब तक भगवान गणेश श्राप दे चुके थे.
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भगवान गणेश ने दिया था ये श्राप
हालांकि माफी मांगने के बाद भगवान गणेश ने कहा कि तुम भगवान विष्णु(Lord Vishnu) को प्रिय होने के कारण कलयुग में मोक्ष देने वाली मानी जाओगी. तुम्हारी पूजा करने से लोगों को मोक्ष की प्राप्ति होगी लेकिन हमारी पूजा में तुलसी दल का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा. भगवान गणेश के श्राप के बाद से ही उनकी पूजा में तुलसी(Tulsi) का इस्तेमाल वर्जित माना जाता है.
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