उत्तराखंड(Uttarakhand) की देवभूमि का एक ऐसा मंदिर जहां हर साल मनाया जाता है माता रानी का हर पर्व। कसार देवी मंदिर(Kasar Devi Temple) उत्तराखंड की अल्मोड़ा(Almora) पहाड़ियों पर है। लोगों का मानना है कि देवी मां यहां साक्षात प्रकट हुईं थी, यहां तक पहुंचने के लिए भक्तों को सैकढ़ों सीढी चढ़कर ऊपर आना पड़ता है, और भक्त भी माता की भक्ति में बिना थके सीढ़ियां चढ़कर यहां तक पहुंच जाते है। यहां की खास बात ये है कि भारत का ये पहला ऐसा स्थान है जहां चुंबकिय(Magnetic) शक्तियां मौजूद है, इस जगह के बारे में नासा के वैज्ञानिक भी शोध कर चुके है लेकिन अभी तक कोई नतीजा हासिल नहीं हुआ है कि आखिर ये चुंबकिय शक्तियों का राज क्या है!
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कसार देवी मंदिर में माँ कसार देवी(Maa Kasara Devi) को दुर्गा का रूप माना जाता है। मंदिर में माँ दुर्गा के आठ रूपों में से एक रूप “देवी कात्यायनी” की पूजा की जाती है। मंदिर में मंदिर के दो अलग-अलग समूह हैं जिनमें से एक देवी और एक अन्य भगवान शिव और भैरव हैं। मुख्य मंदिर में अखंड ज्योति है जो वर्षों से 24 घंटे जलती रहती है। इसमें एक हवन कुंड भी है जो 24 घंटे जलाया जाता है। धुनी की राख को बहुत शक्तिशाली कहा जाता है, जो किसी भी मानसिक रोगी को ठीक कर सकती है।
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पूरा क्षेत्र वैन एलेन बेल्ट है
वैज्ञानिक इस मंदिर का रहस्य आज तक नहीं सुलझा पाए है। भारत के पर्यावरण विशेषज्ञ भी इस जगह की पड़ताल कर चुके है, जहां उन्होने पाया कि कसार देवी मंदिर के आसपास वाला पूरा क्षेत्र वैन एलेन बेल्ट (Van allen belt) है जहां धरती के भीतर विशाल भू-चुंबकिया पिंड है।
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इस पिंड में विद्युतीय चार्ज कणों की परत होती है जिसे रेडिएशन भी कहते है। शोध में ये भी पाया गया है कि अल्मोड़ा के इस मंदिर और दक्षिण अमेरिका के पेरू स्थित माचू-पिच्चू व इंग्लैंड के स्टोन हेंग में अद्भत समानताएं है। जानकारों के मुताबिक मंदिर के पास का इलाका चुंबकिय क्षेत्र का केन्द्र माना जाता है जहां मानसिक शांति भी महसूस होती है, यहां कई तरह की शक्तियां निहित है।
स्वामी विवेकानंद कर चुके हैं साधना
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मंदिर की महानता इतनी है कि दूर-दूर से भक्त , संत यहां ध्यान साधना करने यहाँ आ चुके है। यहां तक की स्थानिय लोगों की माने तो 1890 के आसपास स्वामी विवेकानंद(Swami Vivekanand) भी यहां ध्यान साधना करने आ चुके है। उन्होने कई महीनों रहकर यहां ध्यान साधनाएं की, यहां बौध्द गुरु लामा अंगरिका गोविंदा इन पहाड़ों की गुफा में साधना कर चुके है। कसार देवी मंदिर के चमत्कारों से प्रभावित होकर हर साल इंग्लैंड से और बहुत से देशों से लोग यहां पर आते है और यहां पर कुछ महीने रहकर आध्यात्मिक शांति की प्राप्ति करते है। कसार देवी मंदिर के आस-पास का पूरा क्षेत्र हिमालयी के वन और अद्भुत नजारे से घिरा हुआ है। बड़ी संख्या में देशी पर्यटकों के अलावा विदेशी पर्यटक भी यहां आते हैं। बिनसर और आस-पास तमाम विदेशी पर्यटक रोजाना भ्रमण करते दिखाई भी पड़ते हैं। कुछ लोग बताते हैं कि बड़ी संख्या में विदेशी साधकों ने अस्थाई ठिकाना भी यहां बना लिया है।
हर साल लगता है मेला
हर साल नवरात्रि के मौके पर यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ दर्शन के लिए आती है। और साथ ही हर साल कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर कसार देवी का मेला भी लगता है। 60 और 70 दशक में हिप्पी आंदोलन का ये एक लोकप्रिय स्थान था। ये गांव के बाहर क्रैंक रिज के लिए जाना जाता था। आज भी हर साल देश विदेश से पर्यटक मन की शांति के लिए यहां ठहरते हैं। जाहिर सी बात है सुंदर हिमालयी नजारे के साथ अद्भुत शक्तियों से सराबोर इस स्थान को धार्मिक पर्यटन और ध्यान केन्द्र के रूप में और अधिक बेहतर बनाया जा सकता है।
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