गुजरात राज्य के पाटन शहर के पश्चिम में स्थित प्रसिद्ध रानी की वाव के निकट प्राचीन समय में पानी की समस्या को ध्यान में रखते हुए राजा दुर्लभराय द्वारा प्रजा के लिए बड़े से तालाब का निर्माण करवाया गया था। यह सरोवर व्यवस्थापन का उत्तम उदाहरण है। आकर्षक तालाब सौन्दर्य, ऐतिहासिक, और आध्यात्मिकता दृष्टि से गुजरात में प्रसिद्ध है जिसे पाटन का सहस्त्रलिंग (Sahastralinga Lake) कहा जाता है।
राजा सिद्धराज ने अपने शासन काल में अनेक सरोवर और वाव का निर्माण करवाया था। 7 हेक्टेयर में स्थित सरोवर की किनारी पर वृत्ताकार में 1000 शिवलिंग स्थापित किए गए, तभी से सहस्त्रलिंग तालाब के नाम से जाना गया। सभी सरोवरों में से श्रेष्ठ माना जाता है सहस्त्रलिंग तालाब।
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सदियो पहले आक्रमणकारियों ने शहर पर आक्रमण किया और प्राकृतिक आपदाओं में सरोवर जमीन के नीचे दब गया। संवत 1042-43 में उत्खनन प्रक्रिया के दौरान विशाल सरोवर के मात्र 20 प्रतिशत हिस्से के अवशेष प्राप्त हुए। तालाब पर करीब 3 बार हमले हुए लेकिन आज भी सरोवर की भव्यता के पुरातत्व मौजूद है।
ऐसा कहा जाता है सहस्त्रलिंग सरोवर में जल शुद्धिकरण की व्यवस्था प्राकृतिक रूप से मौजूद थी। जलाशय में देवी- देवताओं की सुशोभित मूर्तियाँ और स्तम्भ के पुरातत्व मौजूद है। सरोवर के तट पर शिव मंदिर के अवशेषों और 48 स्तंभों की हारमालाएँ मौजूद हैं। पौराणिक पुरतत्वों को देखकर अनुमान लगाया जा सकता है सहस्त्रलिंग सरोवर कितना विशाल और भव्य था।सोलंकी वंश के शासक कितने समृद्ध थे सरोवर में मौजूद पुरातत्व इस बात के साक्षी है।
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सहस्त्रलिंग सरोवर को भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा राष्ट्रीय स्मारक के रूप में घोषित किया गया। सरोवर को देश-विदेश से पर्यटक देखने आते हैं। सरोवर के आस-पास नयनरम्य माहौल देखने का रोमांच अद्भुत है। प्रकृति के बीच स्थित सरोवर के चारो ओर पशु-पक्षियों का कलरव और सुंदर नजारा देखने मिलता है। सहस्त्रलिंग सरोवर शांत वातावरण में स्थित है। प्रकृति प्रेमी और पर्यटक इस स्थान पर आकर सुकून महसूस करते हैं।
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