प्रतिदिन योगाभ्यास करना प्रत्येक व्यक्ति के लिए आवश्यक है। योगासन को अपनी प्रतिदिन की दिनचर्या का हिस्सा बना लेना चाहिए। आज हम जिस आसन के बारे में जानेंगे, वह आसन है, गर्भासन (Garbhasana)। इस आसन का प्रतिदिन प्रयास महिलाओं और पुरुषों दोनों के लिए अत्यधिक लाभकारी है।
योगासन सीरीज (Yogasana Series) में आज का आसन है- गर्भासन (Garbhasana)। यह आसन शरीर की ऊर्जा बढ़ाने में अत्यधिक सहायक है। आइए जानते हैं गर्भासन कैसे किया जाता है? और इस आसन का निरंतर प्रयास करने से कौन कौन से शारीरिक लाभ होते हैं?
गर्भासन क्या है? (What is Garbhasana/Embryo in Womb Pose)
गर्भासन एक संस्कृत शब्द है। गर्भ का मतलब होता है कोख। आसन का मतलब है मुद्रा। इस आसन का प्रयास करते वक्त व्यक्ति के शरीर की मुद्रा गर्भ में शिशु के समान होती है। इसलिए इस आसन को गर्भासन कहा जाता है। यह आसन स्वास्थ्य की दृष्टि से अत्यधिक लाभकारी है। यह आसन शरीरी को ऊर्जा प्रदान करता है। अर्थात स्त्रियों के लिए गर्भासन अधिक महत्वपूर्ण है। इस आसन को Garbha Pindasana भी कहते हैं। इंग्लिश में इस आसन को Embryo in Womb Pose के नाम से भी जाना जाता है।
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आइए जानते हैं, इस आसन को कैसे करना चाहिए? गर्भासन का अभ्यास करने की विधि क्या है? और कौन-कौन से शारीरिक लाभ होते हैं?
गर्भासन करने की विधि (How to do Garbhasana)
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गर्भासन का प्रयास बैठकर किया जाता है। देखने में भले ही यह आसन अत्यधिक कठिन दिखता है, लेकिन इस आसन को करने का अत्यधिक आसान तरीका है। आइए जानते हैं आसन को करने की विधि के बारे में।
- सर्वप्रथम इस आसन का अभ्यास करने के लिए एक समतल जगह को निश्चित करें।
- अब अपनी योगामेट पर पद्मासन की मुद्रा में बैठ जाएं।
- अब दोनों हाथों को अपने पैरों और जांघों के बीच से निकालें।
- अब धीरे धीरे कोहनियों को अंदर की ओर से मोड़ने का प्रयास करें।
- अब मुड़ी हुई कोहनियों को और जांघों को ऊपर की ओर लेने का प्रयास करें।
- अपने मुड़े हुए दोनों हाँथों को अपने चेहरे तक लाने का प्रयास करें।
- यदि संभव हो सके तो अपनी उंगलियों से कान को पकड़ने का प्रयास करें।
- इस प्रक्रिया के दौरान निरंतर सांस लेते रहें।
- कुछ समय के लिए इस अवस्था में कुछ सेकेंड बैठे रहने का प्रयास करें।
- पुन: पद्मासन की स्थिति में लौट आयें।
- गर्भासन का अभ्यास कम से कम 3,4 बार करें।
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गर्भासन के अभ्यास से होने वाले शारीरिक लाभ (Benefits of Garbhasana)
सभी आसनों की तरह गर्भासन के अभ्यास से भी कई सारे लाभ होते हैं। आइए जानते हैं कि, प्रतिदिन योगाभ्यास से शरीर और मस्तिष्क को कैसे लाभ प्राप्त होते हैं।
- गर्भासन के प्रयास से पाचन क्रिया अत्यधिक तेज होती है। जिससे पाचन से जुड़ी समस्याएं दूर रहती हैं।
- यह आसन के अभ्यास से भूख कम लगने वालों की भूख को बढ़ाता है।
- इस आसन के निरंतर प्रयास से हाँथ के पंजों, जांघों, पैरों, घुटनों, कमर, पीठ अर्थात शरीरी के सम्पूर्ण भागों को सक्रिय करता है।
- जिससे सम्पूर्ण शरीर को ऊर्जा प्राप्त होती है।
- पेट से जुड़ी बीमारियाँ जैसे की निरंतर पेट में दर्द होना, पेट में एठन होने जैसी सस्याओं से छुटकारा मिलता है।
- हमारे शरीर के जोड़ मजबूत एवं लचीले होते हैं।
- दिमाग पर नियंत्रण करने की क्षमता को यह आसन बढ़ावा देता है। ध्यान केंद्रित रखने में अत्यधिक सहायक है।
- ग्रभासन के निरंतर प्रयास से चिंता, क्रोध जैसी समस्याएं दूर होती हैं।
- शरीर में चेतना, स्फूर्ति, उल्लास की वृद्धि होती है।
- यह आसन वात, कफ और पित्त की तकलीफ को दूर करता है।
- इस आसन से शरीरी अत्यधिक सुंदर और लचीला बनता है।
- महिलाओं के लिए गर्भासन अत्यधिक लाभकारी है।
- यह आसन इंद्रियों व मन पर नियंत्रण करने में सहायक है।
ऐसे लोग गर्भासन के अभ्यास दौरान सावधानियां जरूर बरतें या फिर ना आसन का प्रयास ना करें।
Garbha Pindasana Image Credit: Yogajournal
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गर्भासन के अभ्यास दौरान सावधानियाँ जरूर बरतें:
- ध्यान दें, गर्भवती महिलायेँ इस आसन का अभ्यास ना करें।
- इसके अलावा घुटने के दर्द या फिर knee ऑपरेशन वालो को भी गर्भासन का प्रयास नहीं करना चाहिए।
- सिवीयर कमर दर्द वाले लोग भी इस आसन को करने से बचें।
- ध्यान दें, इस आसन का प्रयास केवल वही लोग करें जो पद्मासन की स्थिति में आसानी से बैठ सकते हैं।
- माइग्रेन की तकलीफ, या फिर अनिद्रा या निम्न रक्तचाप जैसी बीमारियों से इस आसन को करने से बचें।
- गर्भासन का निरंतर अभ्यास से ही सही तरीके से किया जा सकता है।
ध्यान दें: यदि योगाभ्यास के दौरान किसी भी तरह की शारीरिक तकलीफ होती है तो योग विशेषज्ञ या डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।
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