भारत की पहली ट्रांसजेंडर फोटो जर्नलिस्ट बनी ज़ोया लोबो| मुंबई की रहने वाली ज़ोया थॉमस लोबो लोकल ट्रेनों मे भीख मांग कर अपना जीवन यापन करती थी| उसी मे से कुछ पैसे बचाकर ज़ोया ने सेकंड हेंड कैमरा खरीदा था| “किन्नर” जो लोगों को आशीर्वाद देते है| शादी हो या नए मेहमान का घर मे आगमन, हर शुभ काम पर लोगों के घर जाकर उन्हे बधाई देते है, उनसे नेक लेते है| उनका जीवन इतना भी सरल नहीं है| इस समुदाय के लोगों को बचपन से ही कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है| अपनी जीवन शैली को चलाने के लिए उन्हे रास्ते, ट्राफिक सिग्नल, ट्रेनों मे भीख माँगनी पड़ती है| भारत मे ऐसे कई किन्नर है जिन्होंने अपने बुलंद हौसलों की वजह से कई मुकाम हासिल किए है| हर मुसीबतों को पार करके ज़ोया फोटो जर्नलिस्ट बनी है| गरीबी के कारण ज़ोया पाँचवी कक्षा से आगे नहीं पढ़ पाई |
“पैसे बचा कर खरीदा था कैमरा”
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ज़ोया लोबो को पहले से ही फोटो खिचने का बहुत शौक था, पहले वह फोन से फोटो क्लिक किया करती थी| लोगों को उनकी खींची फोटो बहुत पसंद आती थी| “ज़ोया का कहना है की भीख मांग कर पैसे बचा कर और दिवाली पर मिले कुछ पैसे बचा कर मैंने सेकंड हेंड DSLR खरीदा था|” अब ज़ोया के पास कैमरा तो था पर कोई काम नहीं था|
“बदलाव की शुरुआत “
ज़ोया लोबो की ज़िंदगी मे बदलाव की पहल तब हुई जब ज़ोया ने ट्रांसजेंडर पर बनी एक शॉर्ट फिल्म देखी| लेकिन उसमे कोई असली किन्नर नहीं था, उसके बाद ज़ोया ने फिल्म के निर्देशक को संपर्क किया और उनसे कहा की आपकी फिल्म बहुत अच्छी है, पर आपने किसी किन्नर को मौका क्यों नहीं दिया? उसके बाद निर्देशक ने उस फिल्म की अगली कड़ी बनाई और उसमे ज़ोया को मौका दिया|ज़ोया ने उस फिल्म मे बहुत ही बेहतरीन ऐक्टिंग की थी | यह बात 2018 की ही है| उसी के बाद से उनके मन मे कुछ करने की ललक जागी| उसी दौरान उनकी मुलाकात स्थानीय न्यूज के एक एडिटर से हुई, और ज़ोया की ज़िंदगी को एक नई रोशनी मिली| उन्हे अपनी ज़िंदगी का पहला अपोइनमेंट लेटर मिला था| ज़ोया ने फ्रीलांसर जर्नलिस्ट के तौर पर शुरुआत की|
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“ज़ोया को मिली एक पहचान”
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कोरोना महामारी के आगमन से लोगों के जीवन पर बहुत गहरा असर पड़ा था| फिर लॉकडाउन लगा और प्रवासी मजदूर इकट्ठा हो गए थे, उसी दौरान उन्होंने कई फोटो खींचे जिसे बहुत पसंद किया गया ,और प्रकाशित भी किए गए| ज़ोया का कहना है की “उस दौरान कई जर्नलिस्ट ने उनसे फोटो लिए| उस समय उनकी एक पहचान बनी की इस क्षेत्र मे ज़ोया लोबो नाम की भी एक जर्नलिस्ट है|
ज़ोया का कहना है की लोगों ने मेरे काम को बहुत नवाजा है|लेकिन ज़ोया अभी भी फ्रीलांसर की तरह काम कर रही है|अब सवाल ये उठता है की अब इससे आगे क्या? क्या ज़ोया को नौकरी मिलेगी?
“कई किन्नर ने की है मिसाल कायम”
आज के दौर मे हमारे देश मे किन्नर समुदाय के लोग हर क्षेत्र मे कार्यरत है| कड़ी मेहनत करके वो आज कई पद पर नियुक्त है,और पूरे किन्नर समुदाय के लिए उन्होंने एक मिसाल कायम की है| जिसमे पश्चिम बंगाल की जोइता मंडल देश की पहली न्यायाधीश है| वहीं असम की पहली न्यायाधीश स्वाती बी बरुआ बनी| सत्यश्री शर्मिला देश की पहली ट्रांसजेंडर वकील है| शबनम मौसी, जो भारत की पहली MLA बनी| साथ ही कई और नाम भी सम्मिलित है, उसमे किन्नर अखाड़ा की आचार्य किन्नर महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी भी है| मानबी बांदोपाध्याय, पृथिका यशिनी जैसी कई हस्तिया है|
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