यस्यां समुद्र उत सिन्धुरापो यस्यामन्नं कृष्टयः संबभूवुः ।
यस्यामिदं जिन्वति प्राणदेजत्सा नो भूमिः पूर्वपेये दधातु ॥
अर्थात, समुद्र और नदियों के जल जिसमें गूंथा हुआ है, जिसमें खेती करने से अन्न प्राप्त होता है, जिस पर सभी जीवन जीवित है, वह माँ धरती हमे जीवन का अमृत प्रदान करे।
क्या आपने कभी सोचा है कि अगर उर्वर जमीन नहीं होती तो क्या होता ? जी हां, आपने बिल्कुल सही सुना। जरा सोचिए उर्वर जमीन नहीं होती तो क्या होता ?
हम जो रोज जो खाते या पीते हैं वह उर्वर जमीन के आभारी है। अगर उर्वर जमीन नहीं होती तो यह बेशकीमती चीजे हमारे पास नहीं होती। तो यह 5 दिसंबर विश्व भूमि दिन पर भूमि का आभार मानते है। और हमने यह कुदरत की अनमोल भेट का क्या हाल किया है जानते हैं। और साथ में बात करते है कैसे यह मिट्टी का ख्याल रखें? यह धरती 20 लाख से ज्यादा जीवों का घर है और करोड़ों साल के उत्क्रांति से पैदा हुए है। सभी प्रकार की जैव विविधता हमारे पैर के नीचे की जमीन में से है। लेकिन यह जमीन के नीचे रहने वाली प्रजातियां सिर्फ एक प्रतिशत ही पहचानी गई है। यह जमीन के नीचे रहने वाले जीव आहार श्रृंखला में महत्वपूर्ण भाग अदा करते है। एक कप मिट्टी में 6 बिलियन जिंदा ऑर्गेनिज्म होते है। यकीन नहीं हो रहा ना? लेकिन यह सच है। सतह पर दिखने वाली जमीन को बनने में 500 साल लगे है।
पहले मिट्टी की कैसे हुई दुर्दशा यह जानते है। दुनिया में हरित क्रांति की शुरुआत हुए। और जमीन से ज्यादा से ज्यादा उपज पाने की कोशिश की। यह कोशिश में रासायनिक खाद डालते गये। जिससे मृदा अपनी उर्वरा शक्ति को खोती गई। और बड़े बड़े जमीन के भाग बंजर बनते गये। जो धरती कभी उपजाऊ थी और जहां कभी हरियाली ही हरियाली थी आज वो तेजी से बंजर होती जा रही है। इकोलॉजी का ये पूरा चक्र एक दूसरे से जुड़ा हुआ है और इसी कारण खेती-बाड़ी भी गिरते हुए मिट्टी के स्वास्थ्य से अछूते नहीं रह गये हैं। किसानों ने स्वयं भी रासायनिक खादों, कीड़े मार दवाइयों और तरह-तरह के जहरीले उत्पादों का उपयोग कर मिट्टी को बंजर बनाने का काम किया है। एसा करके इंसान 24 बिलियन टन उर्वरा जमीन खो रहे है।
अगर यह मिट्टी की बायोडायवर्सिटी खत्म हो जायेंगी तो इसके बेहद धातक परिणाम आ सकते है। मिट्टी की बायोडायवर्सिटी क्यूँ चाहिए। चलिए जानते है। हर एक जीव मात्र को जमीन की चिंता करनी चाहिए। कुछ लोग कहेंगे हम क्यूँ चिंता करे। लेकिन आप भूल गये क्या जीव मात्र की जरूरत मिट्टी से पूरी होती है। सभी प्रकार के फल और अन्न मिट्टी में पनपते है। अगर यह मिट्टी बंजर बन गई तो क्या करेंगे ? सोचिए जरा! निम्नीकृत जमीन फाइबर नहीं बना सकती। जिससे कपडे नही बन सकते। बंजर जमीन कोई पेड़ नहीं उगा सकती और पेड़ बिना ऑक्सीजन जैसा प्राणवायु बन नही सकता। इतिहास गवा है कि जिस सभ्यता ने मिट्टी का ख्याल नहीं रखा वह सभ्यता वही नष्ट हो गई। उदाहरण के लिए एज़्टेक और माया सभ्यता है। इतनी प्राचीन सभ्यता को नष्ट होने में कुछ समय लगा था। इतिहास पढ़ने में अच्छा लगता है दोहराने में नहीं। इसलिए मिट्टी की बायोडायवर्सिटी का ख्याल रखना जरूरी है।
यूनाइटेड नेशन में विश्व मृदा दिवस मनाने का फैसला लिया गया। और लोगों को जागृत करने का प्रयास किया। वर्तमान में विश्व की संपूर्ण मृदा का 33 प्रतिशत पहले से ही बंजर या निम्नीकृत हो चुका है। इंसान के भोजन का 95 प्रतिशत भाग मृदा से ही आता है। वर्तमान में 815 मिलियन लोगों का भोजन असुरक्षित है लेकिन इसे मृदा के माध्यम से कम कर सकते है। यह विश्व मृदा दिवस पर एक संकल्प ले और मिट्टी का ख्याल रखें। क्योंकि मिट्टी भी तो सबका ख्याल रख रही है।
किसी भी मिट्टी में आप रह रहे हो उस मिट्टी का ख्याल रखें। और हमें कमेंट बॉक्स में जरुर बताये आपको कैसी लगी मिट्टी की यह कहानी।
ऐसे ही और रोचक जानकारी के लिए डाउनलोड करें:-
Android : http://bit.ly/3ajxBk4
iOS : http://apple.co/2ZeQjTt