आज के दिन यानी की 27 अक्टूबर, 1920 को श्री के. आर. नारायणन का मध्यमवर्गीय परिवार में जन्म हुआ था, उनके पिता कोच्चेरिल रामन वेद्यार भारतीय पद्धति के सिद्धहस्त आयुर्वेदाचार्य थे। उनके पिता अपनी चिकित्सकीय प्रतिभा के कारण सम्मान के पात्र माने जाते थे। नारायणन का परिवार आर्थिक रूप से समृद्ध नहीं था, लेकिन उनके पिता ने शिक्षा प्राप्त करवाने लिए स्कूल में दाखिला करवाया। इस प्रकार प्राथमिक शिक्षा प्राप्त की और उच्च प्राथमिक शिक्षा भी पांच वर्षों में प्राप्त की। उन्हें शिक्षण काल में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। शुरुआती दिनों में उन्हें कक्षा के बाहर खड़े होकर शिक्षा ग्रहण करनी पड़ती थी। फीस के पैसे न भरने पर उन्हें कक्षा से बाहर निकाल दिया जाता था। लेकिन नारायण शिक्षा के क्षेत्र में उत्तीर्ण थे उन्होंने सेंट मेरी हाई स्कूल से 1936-37 में मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण की। इसके पश्चात वर्ष 1935-36 में इन्होंने सेंट मेरी जोंस हाई स्कूल कूथाट्टुकुलम में भी अध्ययन किया था। नारायणन भारतीय गणराज्य के दसवें निर्वाचित राष्ट्रपति के रूप में चुने गए। उनके जन्म दिवस के दिन देश के सभी महानुभावों नेताओं ने इस महान आदर्श नेता को याद कर श्रद्धांजलि दी है।
Humble homage to the Former President of India K. R. Narayanan Ji on his birth anniversary. pic.twitter.com/ctdaoHzHJx
— Nitin Gadkari (@nitin_gadkari) October 27, 2021
नारायणन का राजनीतिक सफर:-
वर्ष 1944-45 में श्री नारायणन ने पत्रकार के तौर पर ‘द हिन्दू’ और ‘द टाइम्स ऑफ़ इण्डिया’ में कार्य किया। पत्रकारिता करियर के मध्य में ही 10 अप्रैल, 1945 को मुम्बई में महात्मा गांधी से मुलाकात हुई। बाद में वे राजनीतिक अध्ययन की शिक्षा प्राप्त करने के लिए इंग्लैंड चले गए और ‘लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनामिक्स’ में अध्ययन किया। वर्ष 1984 में भारत लौटने के बाद चाचा नेहरू से मुलाकात हुई। वर्ष 1949 में श्री नारायणन ने भारतीय विदेश सेवा में नेहरू जी के मार्गदर्शन में राजनयिक के रूप में रंगून (अब यांगून), टोकियो, लंदन, कैनसास और हेनोई दूतावास के समान कार्य किया। और वर्ष 1967-69 में थाइलैण्ड, 1973-75 में तुर्की और 1976-78 में चीन गणराज्य के राजदूत बने।
देश के पूर्व राष्ट्रपति स्व. केआर नारायणन की जयंती पर सादर नमन।
एक गरीब परिवार में जन्म लेकर देश के प्रथम नागरिक बनने तक का उनका सफर प्रेरणादायी है।#KRNarayanan pic.twitter.com/mfbs1wr5Ts
— Dr Narottam Mishra (@drnarottammisra) October 27, 2021
14 जुलाई, 1997 को राष्ट्रपति के पद के लिए चुना गया:- (K. R. Narayanan)
नारायणन को 14 जुलाई, 1997 में राष्ट्रपति पद के लिए चुना गया, वे एकमात्र ऐसे राष्ट्रपति थे जिन्होंने अपने कार्यालय में किसी भी पूजा स्थानों का दौरा नहीं किया। उन्होंने अपने कार्यकाल में दलितों के लिए कई कार्य किए।
श्री नारायणन ने कहा-“भारत के राष्ट्रपति के रूप में मैंने बेहद दु:ख और स्वयं को असहाय महसूस किया। ऐसे कई अवसर आए जब मैं देश के नागरिकों के लिए कुछ नहीं कर सका। इन अनुभवों ने मुझे काफ़ी दु:ख पहुँचाया। सीमित शक्तियों के कारण मैं वेदना महसूस करता था। वस्तुत: शक्ति और असहायता के मिश्रण को दुखान्त ही कहना चाहिए।”
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राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई पुरस्कार:-
श्री के. आर. नारायणन ने अपने राजनीतिक करियर में कई पुस्तकें लिखीं, जिनमें ‘इण्डिया एण्ड अमेरिका एस्सेस इन अंडरस्टैडिंग’, ‘इमेजेस एण्ड इनसाइट्स’ और ‘नॉन अलाइमेंट इन कन्टैम्परेरी इंटरनेशनल निलेशंस’ शामिल हैं। इन सभी पुस्तकों के लिए उन्हें राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई पुरस्कार दिए गए।
- वर्ष 1998 में ‘द अपील ऑफ़ कॉनसाइंस फ़ाउंडेशन’, न्यूयार्क द्वारा ‘वर्ल्ड स्टेट्समैन अवार्ड’ दिया गया।
- अमेरिका ने ‘टोलेडो विश्वविद्यालय’, ‘डॉक्टर ऑफ़ साइंस’ की तथा ‘आस्ट्रेलिया विश्वविद्यालय’ ने ‘डॉक्टर ऑफ़ लॉस’ की उपाधि दी।
- इसी प्रकार से राजनीति विज्ञान में इन्हें डॉक्टरेट की उपाधि तुर्की और सेन कार्लोस विश्वविद्यालय द्वारा प्रदान की गई।
के. आर. नारायणन का 9 नवम्बर, 2005 में नई दिल्ली के आर्मी रिसर्च एण्ड रैफरल हॉस्पिटल में निधन हो गया। 10 नवम्बर, 2005 के दिन सम्पूर्ण राजकीय सम्मान के साथ अन्तिम विदाई दी गई। इस प्राकर आज भी पूरा देश भारत माता के सच्चे सपूत को सदैव करता है क्योंकि वे एक राष्ट्रपति और बेहतर इंसान थे।
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