Kaal Sarp Dosh: सनातन धर्म में पाठ-पूजा का बड़ा महत्व माना जाता है। जब भी हम अक्सर मंदिर में प्रवेश करते है तो प्रवेश द्वार पर घंटी लगी होती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार घंटी गरुड़ देवता का स्वरूप है। भगवान गरुड़ को नागों का शत्रु (सर्पों) माना जाता हैं। कई तस्वीर में भगवान गरुड़ के पंजों में सांपों को दबाए हुए भी देखा जा सकता है। अब आप सोच रहे होंगे कि पूजा में घंटी बजाने से कालसर्प दोष से कैसे मुक्ति मिलती होगी? आज हम आपको बताएंगे कि पूजा के समय घंटी बजाना क्यों जरुरी है। लेकिन उससे पहले आप कालसर्प दोष (Kaal Sarp Dosh) के बारें में जान लीजिए।
आखिर क्यों कालसर्प दोष के नाम से सहम जाते है लोग..?
कालसर्प दोष के नाम से ही व्यक्ति सहम सा जाता है। जिसकी भी कुंडली में कालसर्प दोष होता है, उसे आने वाले समय में काफी दुख और संकटों का सामना करना पड़ा है। कालसर्प दोष से जातक और उसके परिवार के लोग कुछ अंतराल पर रोग ग्रस्त रहते है। कालसर्प दोष इंसान को शारीरिक, आर्थिक और मानसिक रूप से परेशान करता है। परिजनों से विरोध, मुकदमेबाजी आदि कालसर्प योग से पीड़ित होने के लक्षण हैं।
कब होता है कालसर्प दोष?
कालसर्प दोष को दूर करने के लिए इंसान हर उपाय करता है। लेकिन आखिर कुंडली में कालसर्प दोष योग बनता कब है और क्यों बनता है? ज्योतिष शास्त्र में राहु-केतु को छाया ग्रह माना गया है। मान्यता है कि राहु सर्प का मुंह है और केतु उसकी पूंछ। जब इन दोनों ग्रहों के मध्य कोई ग्रह आता हैं तो कुंडली में कालसर्प दोष हो जाता है।
घंटी से है राहु-केतु का क्या संबंध..?
बता दें घंटी भगवान गरुड़ का स्वरूप बताया गया है। और सर्पों को भगवान गरुड़ का भय लगता है। पूजा के दौरान रोज घंटी बजाने से राहु और केतु का प्रकोप शांत होता है। पूजा के समय घंटी बजाने से कई प्रकार के पाप नष्ट हो जाते हैं। ऐसे में जब भी कहीं पूजा करें तो घंटी जरूर बजाएं। जो व्यक्ति इस घंटी के साथ घर में पूजा करता है उसके सारे पाप नष्ट हो जाते हैं।
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(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य जानकारियों पर आधारित हैं। OTT India इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)