कृषि कानूनों को वापस लेने के ऐलान के बाद से ये चर्चा हो रही है कि क्या किसी भी कानून को सिर्फ ऐलान मात्र से वापस लिया जा सकता है, तो इसका जवाब है नहीं. इसके अलावा वह कौन से कानून हैं, जिन्हें वापस लेने पर चर्चा इतनी तेज है कि कोई इसे किसानों की जीत तो कोई इसे सरकार की हार बता रही है. सारी बातों को सिलसिलेवार ढंग से समझते हैं कि आखिर ये कौन से कानून(Farm Laws Explained) हैं और इन्हें रद्द कैसे किया जाएगा.
अध्यादेश के जरिए बना कानून
दरअसल किसी भी विषय पर कानून दो तरीके से बनाया जाता है. पहला अध्यादेश के जरिए और दूसरे बगैर अध्यादेश लाए सीधे संसद सत्र में प्रस्ताव पेश कर. जब संसद में सत्र नहीं चल रहा होता है तभी अध्यादेश लाने का प्रावधान है. कृषि कानून की बात करें तो इसे अध्यादेश के जरिए लाया गया था. कोरोनाकाल में मोदी सरकार अध्यादेश(Ordinance) के जरिए इन कानूनों को लेकर आई थी.
PM Modi Address Nation
सितंबर 2020 में राष्ट्रपति ने किए हस्ताक्षर
17 सितंबर 2020 को लोकसभा में इन कृषि कानूनों (Farm Laws Explained) को पास किया गया. उसी दिन खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने विरोध में इस्तीफा दे दिया. उसके बाद 20 सितंबर को दो कानून और 22 सितंबर को तीसरा कानून राज्यसभा में पास हुआ. 27 सितंबर 2020 को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हस्ताक्षर के बाद ये तीनों विधेयक कानून बन गए. अब समझते हैं कि ये तीनों कानून(Farm Laws Explained) क्या हैं.
कृषि उपज वाणिज्य एवं व्यापार (संवर्धन और सरलीकरण) अधिनियम 2020
इस अधिनियम के तहत किसानों को फसल बेचने के लिए पहले की तुलना में ज्यादा विकल्प उपलब्ध होंगे. APMC के बाहर भी किसान फसल बेच सकेंगे. लेकिन किसानों का कहना था कि ये एमएसपी खत्म करने की दिशा में एक कदम है. हालांकि सरकार का रूख साफ था कि इस कानून का मकसद किसानों को बड़ा बाजार उपलब्ध करवाना है, एमएसपी को लेकर इसमें कोई प्रावधान नहीं है.
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मूल्य आश्वासन पर किसान(बंदोबस्ती और सुरक्षा) समझौता और कृषि सेवा अधिनियम 2020
इस अधिनियम के तहत सरकार ने कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग(Contract Farming) को बढ़ावा देने की कोशिश की है. सरकार का तर्क है कि बारिश या मौसम की वजह से फसल खराब होने पर किसानों को काफी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ता है, लेकिन पहले ही कॉन्ट्रैक्ट हो जाने से किसानों को उतना नुकसान नहीं होगा, साथ ही किसी भी एक वस्तु का ज्यादा उत्पादन नहीं होगा जिससे उसका बाजार में उचित दाम मिल सके. वहीं किसानों का कहना है कि गरीब और अनपढ़ किसान कॉन्ट्रैक्ट की बारीकियों को कैसे समझेगा, हम अपनी जमीन कंपनियों को नहीं दे सकते.
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आवश्यक वस्तु संशोधन अधिनियम 2020
इस अधिनियम के तहत सरकार ने असाधारण परिस्थितियों को छोड़कर किसी भी कृषि उपज के भंडारण की सीमा समाप्त कर दी है. मतलब ज्यादा स्टॉक होने पर अभी कालाबाजारी के मामले उजागर होते हैं लेकिन इस नियम के बाद ऐसा नहीं हो पाएगा. सरकार का तर्क था कि इस नियम से निजी क्षेत्रों का निवेश बढ़ेगा और किसानों को उचित दाम मिलेगा. लेकिन किसानों का कहना था कि अगर पहले ही किसी ने फसल स्टॉक कर ली हो तो बाद में फसल का दाम गिर जाएगा और किसानों को भारी नुकसान होगा, ऐसे में स्टॉक की लिमिट जरूरी है.
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ऐसे वापस लिए जाते हैं कानून
इन्हीं तीनों कानूनों(Farm Laws Explained) को अब सरकार वापस लेने वाली है. वापस लेने को लेकर प्रावधान ये है कि इसका एक प्रस्ताव तैयार कर संसद में पेश किया जाएगा. दोनों सदनों से पास होने के बाद यह राष्ट्रपति के पास हस्ताक्षर के लिए जाएगा. राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होते ही इसे लेकर अधिसूचना जारी कर दी जाएगी कि इस तारीख से ये कानून प्रभाव में नहीं होंगे. पीएम मोदी के ऐलान के बाद गाजीपुर बॉर्डर पर आंदोलन का नेतृत्व करने वाले राकेश टिकैत ने कहा है कि आंदोलन तब तक चलेगा जब तक संसद सत्र से इसकी प्रक्रिया पूरी नहीं जाती. मतलब आंदोलनकारी किसान 29 नवंबर के बाद ही घर लौटेंगे.
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