देश को UGC और IIT जैसे संस्थान देने वाले देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम (Maulana Abul Kalam Azad) आजाद की आज 133वीं जयंती हैं. उनकी जयंती पर पीएम मोदी (PM Modi) ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए लिखा है कि वह एक पथप्रदर्शक विचारक और प्रखर बुद्धिजीवी थे. स्वतंत्रता संग्राम में इनकी बड़ी भूमिका रही.
मौलाना अबुल कलाम आजाद का शुरुआती जीवन
मौलाना अबुल कलाम आजाद (Maulana Abul Kalam Azad) के शुरुआती जीवन की बात करें तो 11 नवंबर 1888 को मौलाना अबुल कलाम आजाद का जन्म हुआ था. 1857 की क्रांति के वक्त उनका परिवार कोलकाता छोड़कर मक्का चला गया था. लेकिन उनके पिता मोहम्मद खैरुद्दीन साल 1890 में वापस कोलकाता लौट गए.
Tributes to Maulana Abul Kalam Azad on his Jayanti. A pathbreaking thinker and intellectual, his role in the freedom struggle is inspiring. He was passionate about the education sector and worked to further brotherhood in society.
— Narendra Modi (@narendramodi) November 11, 2021
13 साल की उम्र में हुई शादी
मौलाना अबुल कलाम आजाद (Maulana Abul Kalam Azad) जब 11 साल के थे तो उनकी माता का देहांत हो गया. उनकी शुरुआती शिक्षा इस्लामी तौर तरीकों पर हुई, हालांकि बाद में उन्होंने ऊर्दू, फारसी, हिंदी, अरबी और अंग्रेजी में महारत हासिल की. 16 साल की उम्र में ही मौलाना अबुल कलाम आजाद ने कई विषयों में महारत हासिल कर ली. हालांकि उससे पहले 13 साल की उम्र में ही उनकी शादी कर दी गई.
आजादी के आंदोलन में निभाई बड़ी भूमिका
मौलाना अबुल कलाम आजाद ने भले ही शुरुआती शिक्षा इस्लामिक तौर तरीकों से ली थी लेकिन उन्हें पारंपरिक शिक्षा रास नहीं आई और वह आधुनिक शिक्षावादी सर सैय्यद अहमद खां के विचारों से प्रेरित थे. आजादी के आंदोलन में मौलाना अबुल कलाम आजाद ने बड़ी भूमिका निभाई.
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एक ओर जहां 1905 में कई मुस्लिम नेता बंगाल विभाजन की मांग पर अड़े थे तो वहीं मौलाना अबुल कलाम आजाद ने खुलकर इसका विरोध किया. साल 1912 में उन्होंने एक ऊर्दू पत्रिका अल हिलाल का प्रकाशन किया. जिसका उद्देश्य मुस्लिम युवकों को क्रांतिकारी आंदोलन के प्रति उत्साहित करना और हिंदू-मुस्लिम एकता पर बल देना था.
देश को दिए UGC और IIT जैसे संस्थान
आजादी के आंदोलन के दौरान उन्हें जेल भी जाना पड़ा. उसके बावजूद जालियांवाला बाग हत्याकांड के विरोध, खिलाफत आंदोलन और असहयोग आंदोलन में उन्होंने अहम भूमिका निभाई. जब देश आजाद हुआ तो उन्हें भारत का पहला शिक्षा मंत्री बनाया गया, जिनके कंधों पर एक आजाद देश के शिक्षा नीतियों के निर्माण की जिम्मेदारी थी, जिसका उन्होंने बखूबी निर्वहन किया और देश को UGC और IIT जैसे संस्थान दिए, जहां आज भी छात्र-छात्राएं बेहतर उच्च शिक्षा हासिल करते हैं. साल 1956 में जहां यूजीसी की स्थापना हुई तो वहीं साल 1951 में IIT की स्थापना हुई.
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राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाई जाती है जयंती
22 फरवरी 1958 को मौलाना अबुल कलाम आजाद ने आखिरी सांस ली. स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका निभाने वाले और देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद को मरणोपरांत 1992 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया. साल 2008 में मानव संसाधन विकास मंत्रालय (शिक्षा मंत्रालय) ने उनके जन्मदिवस को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस (National Education Day) के रूप में मनाने का फैसला लिया, जिसके बाद से हर साल 11 नवंबर को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाया जाता है.
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