शादी के लिए लड़कियों की उम्र(New Marriage Age) बढ़ाए जाने की चर्चा काफी तेज हो चली है. ख़बर है कि मोदी कैबिनेट(Modi Cabinet) ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है कि अब लड़कियों की शादी की उम्र 18 साल से बढ़ाकर 21 साल कर देनी चाहिए. अगर ऐसा होता है तो समझिए कि लड़कों और लड़कियों की शादी की उम्र भी अब एक बराबर हो जाएगी, जो एक तरह की समानता होगी.
लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाने पर विचार
लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि शादी के लिए लड़कियों की उम्र(Marriage Age For Female) पहले से ही 18 साल तय नहीं थी. जब शादी की उम्र बढ़ाने की बात आई तो एक्ट को लेकर भी चर्चा तेज हो गई, ऐसे में जानते हैं कि आखिर मौजूदा कानून क्या कहता है और अगर सरकार संशोधन चाहती है तो क्या करना होगा. इसके अलावा ये भी जानना जरूरी है कि क्या आजादी के बाद से ही लड़कियों की शादी की उम्र 18 साल थी.
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अंग्रेजों के वक्त बना था शादी का कानून
सबसे पहले समझते हैं कि शादी के लिए कानून(Marriage Law) बनाने का ख्याल आया कैसे. आजादी से पहले जब हिंदुस्तान में अंग्रेजों का राज था तो उसी वक्त इसे लेकर कानून बनाने की बात हुई थी, क्योंकि उस वक्त बाल विवाह का प्रचलन काफी था. साल 1872 में पहली बार नैटिव मैरिज एक्ट(Native Marriage Act) अस्तित्व में आया, जिसके तहत लड़कियों की शादी की उम्र 14 साल निर्धारित कर दी गई, हालांकि वो अलग बात थी कि उस वक्त सामाजिक हालातों की वजह से ज्यादा प्रभाव में नहीं आ सका.
शारदा एक्ट के मुताबिक 14 साल थी न्यूनतम उम्र
इस कानून की असल शुरुआत साल 1930 में हुई, जब सामाजिक कार्यकर्ता हर विलास शारदा की कोशिशों की बदौलत 18 साल से कम उम्र का लड़का और 14 साल से कम उम्र की लड़की का विवाह अमान्य घोषित कर दिया गया, हालांकि तब भी बाल विवाह का प्रचलन जारी रहा.
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ऐसे अस्तित्व में आया कानून
शारदा एक्ट(Sarda Act) के 25 साल बाद जब विशेष विवाह अधिनियम 1954 और हिंदू विवाह अधिनियम 1955 अस्तित्व में आया तो लड़के की उम्र 21 साल और लड़की की उम्र शादी के लिए 18 साल कर दी गई, लेकिन इसके बावजूद बाल विवाह का प्रचलन कम नहीं हुआ और फिर सरकार 2006 में बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम(Prohibition Of Child Marriage Act 2006) लेकर आई, जिसके तहत निर्धारित उम्र से कम उम्र के लड़के-लड़की के विवाह को अवैध घोषित कर दिया गया. हालांकि वो अलग बात है कि देश के कई हिस्सों में अभी भी बाल विवाह होते हैं.
कानून में करना होगा संशोधन
अब सवाल ये उठता है कि क्या कैबिनेट की मंजूरी के बाद नियम बदल जाएगा तो नहीं. सरकार को इसके लिए संशोधन प्रस्ताव लेकर आना होगा जो लोकसभा और राज्यसभा से पास होने के बाद राष्ट्रपति के पास हस्ताक्षर के लिए जाएगा. उसके बाद अधिसूचना जारी होने के बाद नया नियम प्रभावी होगा.
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विवाह की उम्र में बदलाव की जरूरत क्यों
अब सवाल ये उठता है कि आखिर विवाह के उम्र में बदलाव की जरूरत क्यों महसूस हुई. दरअसल इसे लैंगिक समानता(Gender Equality) से जोड़कर देखा जा रहा है कि जब पुरुषों की उम्र 21 साल है तो महिलाओं की उम्र कम क्यों. इसका दूसरा पक्ष ये भी है कि शादी की उम्र बढ़ने से लड़कियों को अभी की तुलना में ज्यादा अवसर मिल सकेंगे. सरकार ने जया जेटली की अध्यक्षता में 10 सदस्यीय टास्क फोर्स का गठन किया था. जिसने बेटियों की शादी के लिए सही उम्र को लेकर अपनी रिपोर्ट पेश की है.
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