प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Modi) के विदेश दौरे के दौरान जलवायु परिवर्तन (Climate Change), पेरिस समझौता (Paris Agreement) और COP26 काफी चर्चा में रहा. चर्चा इसलिए हुई क्योंकि COP26 के सम्मेलन में पीएम मोदी ने कहा कि भारत पेरिस समझौते का पूरी तरह से पालन कर रहा है. ऐसे में ये जानना जरूरी हो जाता है कि आखिर पेरिस समझौता (Paris Agreement) है क्या और COP 26 क्या है. इसे समझने के लिए पहले जलवायु परिवर्तन को समझना होगा.
पेरिस समझौते का पालन कर रहा भारत
पीएम मोदी ने अपने भाषण में कहा कि जब मैं पहली बार जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में पेरिस आया था तो मेरा ये इरादा नहीं था कि दुनिया में हो रहे वादों में एक अपना भी वादा भी जोड़ दूं. मेरे लिए पेरिस में हुआ आयोजन एक कमिटमेंट था. भारत वो वायदे विश्व से नहीं कर रहा था, बल्कि वह वायदे 125 करोड़ देशवासी खुद से कर रहे थे. मुझे खुशी है कि भारत जैसा विकासशील देश अपना कर्तव्य पूरा करके दिखाने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी. आज पूरा विश्व मानता है कि भारत एक मात्र अर्थव्यवस्था है जिसने इसका पूरी तरह पालन किया है. पीएम मोदी ने 2070 तक कार्बन उत्सर्जन को शून्य तक लाने की बात भी कही.
The world has taken note of how India is the only large economy to have delivered on the Paris commitments in letter and spirit. pic.twitter.com/LU98XCBGKS
— Narendra Modi (@narendramodi) November 2, 2021
क्या है जलवायु परिवर्तन
आसान भाषा में कहें तो किसी भी स्थान पर लंबे समय या कुछ सालों में जो औसत मौसम होता है, उसे जलवायु कहते हैं और परिवर्तन का मतलब हम सब जानते हैं कि बदलाव से है. तो ये जलवायु परिवर्तन (Climate Change) होता कैसे है. दरअसल आप ये महसूस कर रहे होंगे कि पहले की तुलना में अब गर्मी ज्यादा हो रही है. इसकी वजह सड़कों पर सरपट दौड़ती गाड़ियां और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाना समेत कई चीजें हैं.
जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव
इस जलवायु परिवर्तन का दुष्प्रभाव ऐसा है कि अचानक तूफान, भूकंप और बाढ़ का विकराल रूप ले लेना आम हो गया है. यही वजह है कि इससे निपटने के लिए दुनिया के कई मुल्क एक साथ आए हैं. दुनिया के कई मुल्क साथ आकर इस समस्या पर चर्चा और उसके समाधान की कोशिश में जुटे हैं और इसी कोशिश का नाम है COP26.
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क्या है COP26
दरअसल वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैस सांद्रता को स्थिर करने के उद्देश्य से 1994 में यूनाइटेड नेशन फ्रेमवर्क कन्वेंशन फॉर क्लाइमेट चेंज (UNFCCC) की स्थापना की गई थी, जिसमें भारत और चीन समेत 198 देश शामिल हैं. उसके बाद COP जिसका पूरा नाम कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज है कि स्थापना की गई. इसकी बैठक साल 1995 से हर साल होती आ रही है. इस बार इसकी 26वीं बैठक थी, इसलिए इसका नाम COP 26 रखा गया था.
2002 में भारत भी कर चुका है मेजबानी
इस COP का काम जलवायु परिवर्तन (Climate Change) को कम करने के उपाय खोजना, और इसे लेकर जागरूकता पैदा करना है. COP1 का आयोजन साल 1995 में बर्लिन में हुआ था, जबकि साल 2002 में भारत भी इसकी मेजबानी कर चुका है.
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पेरिस समझौते का लक्ष्य
साल 2015 में COP21 के दौरान पेरिस समझौता (Paris Agreement) सामने आया. इसकी बैठक उस साल पेरिस में आयोजित की गई थी, इसलिए उस वक्त जलवायु परिवर्तन को लेकर जो समझौते हुए उसे पेरिस समझौता नाम दिया गया. दिसंबर 2015 में 196 देशों ने इस समझौते को अपनाया. बड़ी बात ये है कि यह कानूनी रूप से अंतर्राष्ट्रीय बाध्यकारी संधि है. इसका लक्ष्य ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) को 1.5 डिग्री तक सीमित करना है और ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा को कम करना है. इसमें एक दूसरे देशों की मदद के लिए वित्तीय, तकनीकी और क्षमता संबंधी मदद का भी प्रावधान है.
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