देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद(Rajendra Prasad) की 137वीं जयंती पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, उपराष्ट्रपति वेंकैया नायूड, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, केन्द्रीय मंत्रियों और सांसदों ने श्रद्धांजलि दी. दिग्गजों ने संसद भवन के सेंट्रल हॉल में देश के पहले राष्ट्रपति की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की.
पीएम मोदी ने ट्वीट कर दी श्रद्धांजलि
वहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी(PM Modi) ने डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को याद करते हुए ट्वीट कर लिखा कि स्वतंत्र भारत के पहले राष्ट्रपति और अद्वितीय प्रतिभा के धनी भारत रत्न डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को उनकी जयंती पर शत्-शत् नमन. उन्होंने देश के स्वतंत्रता संग्राम में अपना विशिष्ट योगदान दिया. राष्ट्रहित में समर्पित उनका जीवन देशवासियों के लिए हमेशा प्रेरणास्त्रोत रहा.
स्वतंत्र भारत के पहले राष्ट्रपति और अद्वितीय प्रतिभा के धनी भारत रत्न डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को उनकी जयंती पर शत-शत नमन। उन्होंने देश के स्वतंत्रता संग्राम में अपना विशिष्ट योगदान दिया। राष्ट्रहित में समर्पित उनका जीवन देशवासियों के लिए हमेशा प्रेरणास्रोत बना रहेगा।
— Narendra Modi (@narendramodi) December 3, 2021
आजादी के आंदोलन में निभाई अहम भूमिका
डॉ. राजेन्द्र प्रसाद(DR.Rajendra Prasad) के शुरुआती जीवन की बात करें बिहार के एक छोटे से गांव में जन्मे डॉ. राजेन्द्र प्रसाद एक मेधावी छात्र रहे, आजादी के आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई और फिर आजादी बाद में देश के सबसे पहले राष्ट्रपति बने. 3 दिसंबर 1884 को बिहार राज्य के सीवान जिले के एक छोटे से गांव जीरादेई राजेन्द्र प्रसाद का जन्म हुआ. उनके बारे में एक बात काफी प्रसिद्ध है कि वह पढ़ाई में इतने मेधावी थे कि कॉपी चेक करने वाले शिक्षक ने उनकी कॉपी पर लिखा था परीक्षक से ज्यादा परीक्षार्थी ही अच्छा है.
डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने लिखी कई किताबें
13 साल की उम्र में राजेन्द्र प्रसाद(Rajendra Prasad Marriage) का विवाह राजवंशी देवी से हुआ. राजेन्द्र ‘बाबू’ की लेखनी इतनी अच्छी थी कि एलएलएम की परीक्षा में गोल्ड मेडल हासिल करने के बाद उन्होंने कई किताबें भी लिखी. इंडिया डिवाइडेड और सत्याग्रह एट चंपारण जैसी किताबें जहां उनकी हिंदुस्तान के प्रति विचार को दिखाती हैं तो वहीं बापू के कदमों में बाबू और गांधीजी की देन जैसे किताबें गांधीजी के प्रति उनके जुड़ाव को बताती हैं.
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संविधान सभा के स्थायी अध्यक्ष के रूप में निभाई भूमिका
आजादी के बाद देश के पहले राष्ट्रपति बने डॉ. राजेन्द्र प्रसाद(DR. Rajendra Prasad) ने संविधान निर्माण में भी काफी अहम भूमिका निभाई. हम सभी जानते हैं कि संविधान बनाने के लिए गठित संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसंबर 1946 को हुई, जिसमें अस्थायी अध्यक्ष के तौर पर सच्चिदानंद सिन्हा चुने गए, लेकिन 13 दिसंबर 1946 को राजेन्द्र बाबू को संविधान सभा का स्थायी अध्यक्ष चुना गया. उनकी ही अध्यक्षता में संविधान सभा ने 2 साल 11 महीने 18 दिन में दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान तैयार किया.
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…जब राजेन्द्र बाबू बोले थे- मेरी आंख कोसी पर और दूसरी पूरी हिंदुस्तान पर रहेगी
आज बिहार जिस बाढ़ की वजह से सबसे ज्यादा प्रभावित हुई, उसकी समस्या को दूर करने के लिए देश के पहले राष्ट्रपति के कार्यकाल में ही पूरजोर कोशिश की गई थी. साल 1953-54 में शुरू हुई कोसी बांध परियोजना जिसके जरिए अगले 15 सालों में बिहार में बाढ़ की समस्या से मुक्ति का दावा किया गया, उसे लेकर राजेन्द्र ‘बाबू'(Rajendra Babu) ने कहा था कि मेरी एक आंख कोसी बांध पर और दूसरी आंख पूरे हिंदुस्तान पर नजर रखेगी. उसके बाद इस परियोजना को लेकर लोगों में काफी उत्साह बढ़ गया था, लेकिन वो अलग बात है कि बिहार आज भी बाढ़ के दलदल से बाहर नहीं निकल पाया है. साल 1962 में डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को भारत रत्न से सम्मानित किया गया. 28 फरवरी 1963 को उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया.
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