अक्सर थाने में अगर आप गए हों तो आपने थानेदार की कुर्सी पर पुलिस अधिकारी को बैठे देखा होगा, जिन्हें आप थानेदार कहते हैं, कोतवाली में जाएंगे तो वहां आपको कोतवाल बैठे मिलेंगे, लेकिन भगवान भोले की नगरी काशी(Kashi) में ऐसा नहीं है. यहां कोतवाल की कुर्सी पर बाबा काल भैरव विराजते हैं, जबकि बगल की कुर्सी पर कोतवाल(Kashi Ke Kotwal) बैठते हैं.
अगर आप काशी गए हों तो आपने हो सकता है ये तस्वीर देखी हो. सोशल मीडिया पर रणविजय सिंह नाम के यूजर ने इसे शेयर किया है. इस तस्वीर को देखने के बाद से हर कोई ये जानना चाह रहा है कि आखिर काशी में ऐसी परंपरा क्यों है, इसके पीछे की वजह क्या है. तो आइए जानते हैं कि आखिर बाबा काल भैरव को काशी का कोतवाल(Kashi Ke Kotwal) क्यों कहा जाता है, लेकिन इसे जानने से पहले आपको बाबा काल भैरव(Baba Kal Bhairav) की उत्पति से जुड़ी कहानी को समझना होगा.
Image Courtesy: Twitter.com
भगवान शिव के गुस्से से हुई थी उत्पति
पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक एक बार ब्रह्मा जी(Brahma Ji) और भगवान विष्णु(Lord Vishnu) के बीच इसे लेकर विवाद हो गया कि दोनों में श्रेष्ठ कौन हैं, एक भविष्य निर्धारण करने वाले हैं तो दूसरे पालनहार हैं. इस विवाद को लेकर सभी लोग भगवान भोले(Lord Shiva) के पास गए, जहां ब्राह्म जी ने भगवान शिव को कुछ ऐसी बातें कही कि उन्हें गुस्सा आ गया. उनके गुस्से से ही बाबा काल भैरव की उत्पत्ति हुई. बाबा काल भैरव(Kal Bhairav) ने गुस्से में ब्रह्मा जी का सिर काट दिया.
गुस्से में काट दिया था ब्रह्मा जी का सिर
शायद आप ये नहीं जानते हों कि ब्रह्मा जी के पांच सिर थे, लेकिन काल भैरव ने गुस्से में उनका एक सिर अलग कर दिया, जिसके बाद उन पर ब्रह्महत्या का पाप लगा. इस पाप से मुक्ति के लिए वह तीनों लोकों में विचरण करते रहे, लेकिन कहीं भी उन्हें इससे मुक्ति नहीं मिली. आखिरकार भगवान शिव ने उन्हें काशी जाने को कहा, साथ ही ये भी कहा कि वहां इस पाप से मुक्ति मिलेगी.
Image Courtesy: Twitter.com
ये भी पढ़ें: गुरुवार को गलती से भी न करें ये काम वरना करियर, स्वास्थ्य और धन से धो बैठेंगे हाथ!
काशी में मिली थी ब्रह्महत्या के पाप से मुक्ति
भगवान शिव(Shiva) के आदेश पर बाबा काल भैरव काशी(Kashi) में प्रकट हुए, जहां उन्हें पाप से मुक्ति मिली. उसके बाद से बाबा काल भैरव को काशी का कोतवाल(Kashi Ke Kotwal) कहा जाता है. कहते हैं कि काशी में उनकी मर्जी के बिना कोई प्रवेश भी नहीं कर सकता. यहां तक कि अगर कोई चोरी करता है तो काल भैरव ही उसे दंड देते हैं. यानि की बाबा काल भैरव काशी के कोतवाल की कुर्सी पर विराजित होकर न्याय करते हैं.
अधिक रोचक जानकारी के लिए डाउनलोड करें:- OTT INDIA App
Android: http://bit.ly/3ajxBk4