Kukur Tihar in Nepal: देश दुनिया में जहां भी सनातन धर्म के लोग है वो दिवाली को बड़ी ही धूमधाम से मानते है। दिवाली के त्योहार जितना महत्व शायद ही किसी और पर्व को दिया जाता है। भारत सहित दुनिया के कई अन्य देशों में भी हिन्दू धर्म के लोग इस पावन पर्व को बड़े उल्लास और उत्साह के साथ मानते है। इस साल दिवाली 4 नवंबर को मनाई जाएगी। इस दिन लोग पूजा कर अपने घर के लिए सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। दिवाली का पर्व नेपाल में भी बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। नेपाल (Kukur Tihar in Nepal) में दिवाली के दिन जानवरों की भी पूजा करने की परंपरा भी काफी सालों से चलती आ रही है।
नेपाल में की जाती है कुत्तों की पूजा:
बता दें नेपाल में दिवाली पर देवी देवताओं के अलावा जानवरों की भी पूजा करने की परंपरा काफी प्राचीन है। जिसमें विशेष रूप से कुत्तों की पूजा की जाती है। इस दिन कुत्तों को माला पहनाकर और सजा-धजाकर उनकी पूजा की जाती है। उसके आलावा कुत्तों को अच्छा पकवान भी खिलाया जाता है। अभी सभी के मन एक सवाल जरूर है कि आखिर ऐसी भी क्या परंपरा है और उसके पीछे की पौराणिक कथा क्या है। चलिए हम आपको बताते है इसके पीछे की पूरी कहानी…
कुत्ता माना जाता है यम देवता का संदेशवाहक:
नेपाल में दिवाली से जुड़ी परंपरा थोड़ी अलग है। क्योंकि, नेपाल में दिवाली को ‘तिहार’ कहा जाता है। यहां के लोग भी दीये जलाते हैं, पूजा करते हैं। लेकिन, तिहार यानी दिवाली के ठीक अगले दिन नेपाल में ‘कुकुर तिहार’ मनाया जाता है। कुकुर का मतलब होता है ”कुत्ता” यानी कुत्तों की पूजा जिसको ‘कुकुर तिहार’ के रूप में मनाया जाता है।
कुत्ता यम देवता का संदेशवाहक माना जाता है। इसी के चलते यहां के लोग कुत्तों की पूजा करते हैं उनका मानना है कि मरने के बाद भी कुत्ता अपने मालिक की रक्षा करता है। बता दें कि नेपाल में दिवाली के मौके पर सिर्फ कुत्ते ही नहीं बल्कि गाय, बैल और कौओं की भी पूजा की जाती है।
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(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य जानकारियों पर आधारित हैं। OTT India इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)