लखीमपुर खीरी में किसानों के प्रदर्शन के दौरान भारी हंगामा खड़ा हो गया और इस हंगामे के दौरान कुछ ऐसा हुआ जिससे उत्तर प्रदेश की सिसायत में बवाल मच गया. दरअसल इस हंगामे के दौरान 4 किसानों की मौत हो गई और कई घायल हो गए. सबसे पहले भारतीय किसान यूनियन की ओर से ट्वीट कर जानकारी दी गई कि लखीमपुर खीरी में आंदोलन कर रहे किसानों को गृह राज्यमंत्री टेनी के बेटे ने गाड़ी से रौंद दिया. जिसमें 4 किसानों की मौत हो गई.
ये हंगामा उस समय शुरु हुआ जब रविवार को उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य का लखीमपुर खीरी में कार्यक्रम था. इसी दौरान किसान विरोध करने के लिए जमा हुए थे. काले झंडे लेकर पहुंचे किसानों की बीजेपी कार्यकर्ताओं से झड़प हो गई. जानकारी के मुताबिक किसानों पर गाड़ी चढ़ाए जाने से नाराज किसानों ने कई गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया.
सीएम योगी ने बताया दुखद
इसके बाद इस प्रदर्शन ने उग्र रुप धारण कर लिया. केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के बेटे का नाम इस मामले में सामने आने के बाद सभी विपक्षी दल भी हमलावर हो गए. हिंसा के बाद हालात बेकाबू ना हो जाए इसलिए धारा 144 लागू करने के साथ ही इंटरनेट भी बंद कर दिया गया और मंत्री के बेटे के खिलाफ तिकुनिया थाने में केस दर्ज करवा दिया गया. हालांकि केंद्रीय मंत्री और उनके बेटे ने इन आरोपों को खारिज कर दिया है. सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस हिंसा को दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण बताया. साथ ही उन्होंने ट्वीट कर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की भी बात कही.
हिरासत में लिए गए विपक्षी दल के नेता
वहीं इस पूरी घटना पर विपक्ष लगातार योगी सरकार पर हमलावर है. देर रात ही कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी लखनऊ से लखीमपुर के लिए रवाना हो गईं. हालांकि तड़के सुबह लखीमपुर पहुंचने के बाद उन्हें हरगांव से हिरासत में ले लिया गया और सीतापुर गेस्ट हाउस में ठहराया गया है. सूबे के पूर्व सीएम और सपा प्रमुख अखिलेश यादव को लखीमपुर जाने से पहले ही रोक दिया गया लेकिन वो सड़क पर ही धरने पर बैठ गए. साथ ही उन्होंने केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के इस्तीफे की भी मांग की.
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मरने वाले किसानों के परिवार को दिया जाएगा 45 लाख मुआवजा
इस हिंसा के बाद किसान नेता राकेश टिकैत भी गाजीपुर से लखीमपुर के लिए रवाना हुए हालांकि उनका काफिला भी पहले ही रोक लिया गया. टिकैत ने इससे पहले अपने बयान में कहा कि इस घटना ने सरकार के क्रूर और अलोकतांत्रिक चेहरे को एक बार फिर उजागर कर दिया है. सरकार भूल रही है कि अपने हक के लिए हम मुगलों और फिरंगियों के आगे भी नहीं झुके, किसान मर सकता है पर डरने वाला नहीं है. सरकार होश में आए और किसानों के हत्यारों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तारी सुनिश्चित करे.
इस पूरे मामले पर आज राज्य के लॉ एंड ऑर्डर एडीजी प्रशांत कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की. उन्होंने कहा कि किसानों की शिकायत के आधार पर केस दर्ज कर लिया गया है. हिंसा में मरने वाले 4 किसानों के परिवार को सरकार 45 लाख रुपए मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देगी. वहीं घायलों को 10 लाख रुपए मुआवजा दिया जाएगा. उन्होंने बताया कि जिले में राजनीतिक दलों को जाने की इजाजत नहीं है क्योंकि वहां पर धारा 144 लागू की गई है. साथ ही हाई कोर्ट के रिटायर जज मामले की जांच करेंगे.
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