शक्तिपीठ माँ बहुचराजी से 19 किलोमीटर दूररुदातल गांव में 1200 वर्ष पुराना गणेश मंदिर स्थित है.मंदिर में विघ्नहर्ता के साथ रिद्धि -सिद्धि विराजमान हैं. उत्तर गुजरात में स्थित प्राचीन गणेश मंदिर भक्तों की आस्था का केंद्र है.
संतान प्राप्ति, विदेश यात्रा, घर में सुख शांति की विघ्नहर्ता से प्रार्थना करते है.मान्यता है भक्तों की सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं.दूर-दूर से सभी भक्त, संघ के साथ पदयात्रा करके दर्शन के लिए आते है.
गणेश भक्ति में चतुर्थी का है खास महत्व
हर महीने की चौथ जिसे संकष्टी कहा जाता है, जिसमें मंगलवार के दिन चतुर्थी का आना गणेश भक्ति में खास महत्त्व रखती है जिसे अंगारक चतुर्थी कहा जाता है. इस दिन गणेश-भक्त अपनी सभी मनेकामनाएँ बाप्पा से कहते हैं. रूदातल गाँव में स्थापित होने के कारण इन्हे रूदातल गणेश कहा जाता है. वैशाख शुक्ल चतुर्थी पर बाप्पा को बैलगाड़ी में बिठाकर यात्रा निकाली जाती है.
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मूषक के कान में बोलने से मनोकामना होती है पूरी
वे पत्थर को नीचे उतारते हैं और वह पत्थर वहाँ से लाख कोशिश के बाद भी हिलता नहीं है और वे उसे वहीं छोड़कर चले जाते हैं ,जहां आज यह भव्य गणेश मंदिर है. यहां गणेशजी के सामने मूषक की प्रतिमा भी स्थापित है.
मान्यता है कि अपनी मनोकामना मूषक के कान में बोल देने से वह पूरी हो जाती है. भगवान गणेश अपनी शरण में आए हर भक्त के संकटों को हर लेते हैं.
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