कश्मीर की हसीन वादियां, कुछ यहां वादियों का नजारा देखने आते है और कुछ मौसम का लुत्फ उठाने आते है। लेकिन आज हम कश्मीर में इनकी नहीं बल्कि एक ऐसे स्थान की बात करेंगे जो आदिशक्ति का धाम है। बहुत कम लोग जानते हैं कि कश्मीर में माता सती का एक बहुत ही जाग्रत शक्तिपीठ है जिसे महामाया शक्तिपीठ कहा जाता है।
यदि आप कभी अमरनाथ गए होंगे तो निश्चित ही यहां के दर्शन किए होंगे। यह मंदिर भी अमरनाथ की पवित्र गुफा में ही है। यहां आदि शक्ति महादेव के साथ विराजती है। इतना ही नहीं अमरनाथ की गुफा में ही भगवान गणेश और कार्तिकेय का हिमलिंग प्राकृतिक रुप से तैयार होता है इसलिए कहा जाता है भगवान शिव यहां अपने पूरे परिवार के साथ विराजमान होते है। आदिशक्ति का ये धाम इसलिए भी खास महत्व रखता है क्योंकि यहां शिव-शक्ति साथ विराजते है। पौराणिक कथाओं की माने तो एक बार भगवान शिव ने ही अर्धनारिश्वर का रूप दिखाकर स्वंय ये साबित किया था कि जहां शिव है वहीं शक्ति है और जो शिव है वहीं शक्ति है।
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पौराणिक मान्यता
कहते है पहलगांव के अमरनाथ में माता का कंठ गिरा था, जिसकी वजह से ये शक्तिपीठ अस्तित्व में आया। यहां की शक्ति को महामाया और भैरव को त्रिसंध्येश्वर कहते हैं। माता के इस धाम में दर्शन करने से जन्मों के पाप कट जाते है।श्रीमद भागवत कथा और शिव महापुराण की कथा के मुताबिक महादेव की मर्जी के बिना जब माता सती अपने पिता राजा दक्ष के यहां पहुंची , राजा दक्ष ने भगवान शिव के खिलाफ काफी कुछ आपत्तिजनक बातें कहीं, जिसे माता सती नहीं सह पाई और उन्होंने यज्ञ कुंड में आत्मदाह कर लिया।
मान्यता है कि उनके अधजले शरीर को हाथों में लेकर भगवान शिव पूरे ब्रम्हांड में घूमते रहे। उस समय सृष्टि को भगवान शिव के क्रोध से बचाने के लिए भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के अंगो के टुकड़े कर दिए। उस वक्त देवी के अंगो में से उनका कंठ यहां गिरा था इसलिए माता के इस धाम की शक्तिपीठ के रूप में आराधना की जाती है। यहां माता की पूजा – आराधना के बाद यहां के भैरव त्रिसंध्येश्वर बाबा की पूजा की जाती है। मान्यता है भैरव बाबा के पूजा के बिना यहां की यात्रा पूरी नहीं मानी जाती और पूर्ण फल की प्राप्ति नहीं होती।
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शक्तिपीठ की पूजा विधि
पुराणों में बताया जाता है कि इस पवित्र गुफा में ही भगवान शिव ने जीवन-मरण से संबधित रहस्य, कथा के रूप में माता पार्वती को सुनाया था क्योंकि शिव अजर-अमर थे और माता पार्वती जीवन मृत्यु के बंधन में थी। इसलिए वो हर जन्म में कठोर तप कर भगवान शिव को प्राप्त करना चाहती थी, जिस वजह से भी यहां स्थित ये गुफा काफी खास हो जाती है, जहां भगवान शिव शक्ति के साथ विराजते है। यहां हिमलिंग के रूप में माता भगवती की पूजा भी पूरे विधि विधान के साथ की जाती है। यहां भगवती के अंग और उनके आभूषणों की पूजा की जाती है।
मान्यता है कि जो भक्त यहां से भगवान शिव के साथ-साथ मां भगवती का भी आशीर्वाद लेकर जाते हैं, वह संसार में सारे सुखों को भोगकर, अंत में मोक्ष प्राप्त करते हैं। देवी भागवत के मुताबिक भारत और उसके उप महाद्वीप में 108 शक्तिपीठ है लेकिन तंत्र चूड़ामणि के 51 शक्तिपीठ अस्तित्व में है। इन्ही में से एक है मां का यह महामाया शक्तिपीठ।
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