Mahabhairav Temple: प्राचीन महाभैरव मंदिर असम राज्य के तेजपुर का सबसे सिद्ध मंदिर है। भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर शहर के पहाड़ी इलाके के उत्तरी भाग में स्थित है। मंदिर के इतिहास की पौराणिक कहानी इस प्रकार है कि, महाभैरव मंदिर को अहोम राजा के शासनकाल में राक्षसों के राजा बाणासुर ने बनवाया था। राजा ने मंदिर के निर्माण से साथ साथ भूमि के बड़े क्षेत्र को दान में दे दिया था। और भक्तों के लिए मंदिर का निर्माण कराया। मंदिर में पूजा की जिम्मेदारी पुजारियों को सौंपी गई थी। सदियों पहले महाभैरव मंदिर को पत्थरों से बनवाया गया था। मंदिर के गर्भ में बड़े से शिवलिंग कि स्थापना भी की गई थी।
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महाभैरव मंदिर की विशेषताएं:-(शिवलिंग का आकार सदियों से धीरे-धीरे बढ़ता है)
shivalinga mahabhairav Temple
मंदिर में स्थापित शिव लिंग को लेकर आज भी मान्यताएं हैं कि, यह शिवलिंग एक ऐसे स्टोन (पत्थर) का बना हुआ है, जिस वजह से शिवलिंग का आकार सदियों से धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है।
- लेकिन पत्थर का बना प्राचीन महाभैरव मंदिर वर्ष 1897 में आए भयानक भूकंप में नष्ट हो गया था। वर्तमान में मंदिर का पुन:निर्माण प्रसिद्ध साधु नागा बाबा द्वारा करवाया गया।
- आज के समय में मंदिर का निर्माण कंक्रीट से किया गया है।
- पहाड़ियों के बीच स्थित महाभैरव मंदिर में दो प्रवेश द्वार हैं।
- मंदिर के इन द्वारों पर जटिल नक्काशियाँ की गई हैं।
- विशाल भव्य द्वार मंदिर के दोनों ओर बनाए गए हैं, जिनमें से एक ओर भगवान गणेश और दूरी ओर कष्टभंजन हनुमान की मूर्ति स्थापित हैं, भगवान के दर्शन करते हुए मंदिर में प्रवेश किया जाता है।
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हर साल किया जाता शिवरात्रि कार्निवल का आयोजन:-
हर साल फरवरी – मार्च के महीने में मनाया जाने वाला शिवरात्रि का त्यौहार महाभैरव मंदिर में बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। देश भर से लोग शिवरात्रि के त्योहार का हिस्सा बनते हैं, और दूर दूर से लोग यह पर्व देखने आते हैं। इन दिनों मंदिर में एक अलग ही द्रश्य देखने को मिलता है, मंदिर की चारों दिशाओं को सुसज्जित किया जाता है। शिवरात्रि सप्ताह के दौरान शिवरात्रि मेला यानि कि शिवरात्रि कार्निवल पूरे असम में बहुत प्रसिद्ध है। प्रसाद के रूप में लड्डू, भांग का प्रसाद भक्तों को बांटा जाता है। असम का शिवरात्रि मेला, भले ही शिवसागर मेले से छोटा है, लेकिन शिवरात्रि उत्सव जगविख्यात है।
Mahabhairava Temple, assam
सिद्ध महाभैरव मंदिर में सैंकड़ों कबूतरों का अद्भुत नजारा:-
सिद्ध महाभैरव मंदिर कि खास बात यह है कि, यहाँ दर्शन करने से निश्चित किए गए सभी कार्य पूर्ण होते हैं, क्यूंकी मंदिर से जुड़ी एक मान्यता यह भी है कि राजा बाणासुर ने भी भगवान शिव की शरण ली थी जिस वजह से असुरों के राजा बाणासुर को समृद्धि प्राप्त हुई थी।
महाभैरव मंदिर कि एक और अद्वितीय बात यह है कि, यहाँ पर सैंकड़ों कबूतरों का अद्भुत नजारा देखने को मिलता है। क्यूंकी मंदिर में दर्शन के लिए आने वाले भक्त कबूतरों को लाकर यहीं छोड़ देते हैं। यह इस बात का प्रतीक है कि हमारे पूर्वजों की आत्मा मुक्त है।
- महाभैरव मंदिर के चारों ओर बहुत बड़ी जगह है जहाँ अक्सर भक्त ध्यान में बैठते हैं। कई लोग परिवार के साथ मंदिर के दर्शन करने आते हैं और घंटों बैठकर इस जगह की शांति का आनंद उठाते हैं।
- आज के समय में प्रसिद्ध महाभैरव मंदिर की देख रेख, असम सरकार के नियंत्रण में की जाती है। यानि की महाभैरव मंदिर को अब जिला उपायुक्त की अध्यक्षता में एक प्रबंध समिति के माध्यम से असम सरकार द्वारा प्रबंधित किया जाता है।
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