Makar Sankranti 2022: आसमान में उड़ते लाल पीले और नीले पतंगों की डोर मकर संक्रांति के पर्व का सुखद एहसास दिलाती है. हर साल 14 जनवरी को देशभर में मकर संक्रांति का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. कई राज्यों में खिचड़ी, चूड़ा-दही तो कहीं पतंगबाजी का क्रेज इस पर्व को खास बनाती है.
गंगा स्नान का है खास महत्व
भगवान सूर्य के उत्तरायण होने पर मनाए जाने वाले इस त्यौहार(Makar Sankranti 2022) पर गंगा स्नान का तो अपना खासा महत्व है. हालांकि इस बार कोरोना ने इस त्यौहार के उत्सव पर कई तरह पाबंदियां लगा दी हैं, लेकिन त्यौहार मनाने का अंदाज वही रहने वाला है. प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अपने कार्यकाल के दौरान गुजरात में मनाए जाने वाले पतंग उत्सव(Kite Festival) को अंतर्राष्ट्रीय पटल पर पहचान दिलाने की दिशा में अभूतपूर्व कार्य किए.
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ये है मकर संक्रांति की मान्यता
यूं तो इस पर्व को लेकर कई तरह की मान्यताएं हैं, लेकिन जो दो मान्यताएं बेहद प्रचलित हैं. भगवान सूर्य इस दिन अपने पुत्र और मकर राशि के स्वामी शनिदेव से मिलने जाते हैं, और भगवान सूर्य धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करते हैं. इसलिए कहा जाता है कि इस दिन(Makar Sankranti 2022) अगर पिता-पुत्र आपस में मिलते हैं तो उनके सभी मनमुटाव दूर हो जाते हैं.
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महाभारत से जुड़ी है दूसरी पौराणिक मान्यता
इसके अलावा दूसरी पौराणिक मान्यता महाभारत से जुड़ी है. आप सभी ये जानते होंगे कि पितामह भीष्म को इच्छामृत्यु का वरदान प्राप्त था, हालांकि उसके बावजूद रणभूमि में शिखंडी के सामने पितामह भीष्म ने हथियार रख दिया तो अर्जुन ने बाणों की बौछार कर दी और बाणों की शय्या पर लेट गए, लेकिन कई दिनों तक वह प्रतीक्षा करते रहे और उन्होंने मृत्यु का वरण नहीं किया. आखिरकार जब भगवान सूर्य उत्तरायण(Uttarayan) हुए और उन्होंने मकर राशि में प्रवेश किया तो पितामह भीष्म ने अपना प्राण त्यागा और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हुई.
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