केन्द्र सरकार ने सीबीआई और ईडी के निदेशक (CBI And ED Directors) का कार्यकाल 5 साल तक बढ़ाने का फैसला लिया है, बड़ी बात ये है कि इसके लिए केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार अध्यादेश लेकर आई है, जिसे राष्ट्रपति की मजूरी मिल गई है. मतलब अब सीबीआई और ईडी के निदेशक का कार्यकाल दो साल नहीं बल्कि 5 साल को होगा.
पहले दो साल का होता था कार्यकाल
बता दें कि पहले इन दोनों एजेंसियों के निदेशक (CBI And ED Directors) का कार्यकाल दो साल का होता था लेकिन अब अध्यादेश लाए जाने के बाद कार्यकाल बढ़ जाएगा. जानकारी की बात ये है कि ये एक तरह का एक्सटेंशन ही होगा. मतलब दो साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद एक साल के लिए एक्सटेंशन, उसके बाद एक साल के लिए एक्सटेंशन और फिर उसके बाद एक साल के लिए एक्सटेंशन मिलेगा.
The Government of India brings Ordinance to extend the tenure of Enforcement Directorate (ED) and Central Bureau of Investigation (CBI) Directors up to 5 years. pic.twitter.com/r6NZ8cLyJS
— ANI (@ANI) November 14, 2021
ऐसे मिलेगा एक्सटेंशन
मतलब 1+1+1 के आधार पर इन्हें एक्सटेंशन मिलेगा. कुल मिलाकर कार्यकाल 5 साल से ज्यादा का नहीं हो सकता. बता दें कि अभी सीबीआई के निदेशक (CBI Director)सुबोध जायसवाल हैं जबकि ईडी के निदेशक (ED Director) संजय कुमार मिश्रा हैं. बीते साल ही संजय कुमार मिश्रा को एक्सटेंशन मिला था लेकिन इसी महीने उनका एक्सटेंशन खत्म होने वाला था.
प्रवर्तन निदेशालय के बारे में जानिए
जहां तक ईडी की बात है तो इसका पूरा नाम प्रवर्तन निदेशालय है. इसकी स्थापना 1 मई 1956 को की गई थी. शुरुआत में आर्थिक मामलों के विभाग में एक प्रवर्तन इकाई का गठन किया था, जिसका काम विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम का उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई करना था, बाद में इसका नाम बदलकर प्रवर्तन निदेशालय कर दिया गया. FEMA और PMLA समेत कई मामलों की जांच का जिम्मा प्रवर्तन निदेशालय के पास होता है.
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केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो के बारे में जानिए
वहीं सीबीआई की बात करें तो इसका पूरा नाम केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो है. जिसकी स्थापना दिल्ली पुलिस स्थापना अधिनियम 1946 के तहत भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच करने के लिए की गई थी. 1 अप्रैल 1963 को इसका नाम सीबीआई रखा गया. बाद में सीबीआई को आर्थिक अपराध और विशेष तरह के अपराध की जांच की जिम्मेदारी भी दी गई. सीबीआई देश की सबसे भरोसेमंद जांच एजेंसी है, किसी भी मामले की निष्पक्ष जांच के लिए आज भी सीबीआई जांच की मांग की जाती है. ऐसा माना जा रहा है कि कार्यकाल बढ़ने से जांच एजेंसियां निष्पक्ष तरीके से अपना काम कर पाएंगी.
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