नीलकंठ महादेव मंदिर को खाडिया महादेव के नाम से जाना जाता है। मंदिर का इतिहास 500 वर्ष से अधिक पुराना है। राजस्थान राज्य के वागड़ क्षेत्र जिला डूंगरपुर के सागवाड़ा तहसील के वांदरवेड गांव में यह मंदिर स्थित है। माही और मोरन नदियों के संगम का साक्षी है नीलकंठ महादेव मंदिर। प्राचीन चमत्कारिक स्वयंभू नीलकंठ महादेव का भव्य शिवालय हजारो धर्मानुरागियों की आस्था का केंद्र है। नदियों के संगम का साक्षी होने के कारण मंदिर का अधिक महत्व है।
शिवलिंग
पवित्र श्रावण महीने में हजारों की संख्या में भक्त दर्शन करने आते हैं। शिवरात्रि का विशाल मेला धूमधाम से मनाया जाता है। मंदिर में प्रतिदिन पूजा-आरती की जाती है। बताया जाता है की नीलकंठ महादेव के दरबार से कोई भी खाली हाथ नहीं जाता।
नीलकंठ महादेव के विकास और व्यवस्थाओं का प्रबंधन वांदरवेड गांव की समिति द्वारा किया जाता है। श्रद्धालुओं द्वारा चढ़ाई गई भेंट, दान-पेटी में जमा राशि का उपयोग मंदिर की देख रेख में ही किया जाता है। वर्तमान समय में प्राचीन जर्जरित मंदिर अब एक विशाल और भव्य स्वरूप में विकसित है। खाडिया महादेव की सिध्दी इतनी प्रबल है कि भक्तों की मनोवांछित इच्छाएं पूरी होती है।
मान्यताएं हैं कि भक्तजन नीलकंठ महादेव मंदिर में संतान प्राप्ति हेतु मनोकामना करते हैं और पूर्ण होते ही सहपरिवार बाधा छोड़ते हैं। महादेव के पवित्र स्थान पर सोलह सोमवार व्रतों की कथा, उद्यापन किए जाते हैं। वांदरवेड गांव की प्रबंधन विकास कमिटी द्वारा भक्तों के ठहरने हेतु कमरे एवं भोजनशाला, यज्ञशाला, भव्य घाट का निर्माण कराया गया है।
हनुमान जी की प्रतिमा
पौराणिक गाथा:-
गांव के वृद्धों का कहना है कि सदियों पहले यह क्षेत्र दुर्गम जंगलों से घिरा हुआ था। पूरे क्षेत्र में कंटीली झांडिया और घने पेड़ थे। एक ग्वाला रोज अपनी गायों को चराने जाता था, गाय के दूध की धार निरंतर एक स्थान पर बहती रहती थी। चरवाह ने पूरी घटना गांव वालों को सुनाई, सभी ग्रामीण एकत्रित होकर कांटेदार पौधों को काटना शुरू किया, और कांटों को काटते हुए आगे बढ़ते गए, अचानक से औजार एक पत्थर पर लग गया ग्रामीणजनों ने देखा तो वह पत्थर नहीं एक शिवलिंग था। जो कि खंडित हो गया था। तभी से इस शिवालय का नाम खाडिया महादेव हो गया।
खाडिया महादेव Image Credit: Facebook
वांदरवेड गांव आस्था का प्रमुख केंद्र माना जाने लगा। ग्रामीणों की मदद से जर्जरित मंदिर का पुन: निर्माण कराया गया। तभी से नीलकंठ महादेव मंदिर की नियमित पूजा-अर्चना होने लगी।
मंदिर में महादेव के अलावा कई सारे भगवान की मूर्ति स्थापित की गई है। सभी मूर्तियां अधिक आकर्षित हैं। त्योहारों के समय मंदिर को सुसज्जित जाता है। मंदिर में सभी त्योहारो को हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है।
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