Parliament Attack 2001: आज का दिन भारत के इतिहास का सबसे काला दिन माना जाता है। आज से 20 साल पहले पहले की वो घटना शायद ही कोई भुला पाया होगा। जब लोकतंत्र का मंदिर गोलियों की तड़तड़ाहट से गूंज उठा था। करीब एक घंटे तक आतंकियों ने पुरे देश को हिला दिया था। 13 दिसंबर 2001 (Parliament Attack 2001) को पांच आतंकियों ने लोकतंत्र के पवित्र मंदिर संसद भवन में घुसकर दहशत मचाई थी। लेकिन सुरक्षाकर्मियों ने आतंकियों के नापाक मंसूबों पर पानी फेर दिया था। आज देश पर हुए उस आतंकी हमले की 20वीं बरसी है।
200 सांसद संसद भवन के अंदर ही थे मौजूद:
13 दिसंबर 2001 के दिन शीतकालीन सत्र चल रहा था। विपक्ष के हंगामे के चलते सदन की कार्यवाही करीब 40 मिनट तक स्थगित की गई थी। उस समय तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी अपने निवास स्थान के लिए निकल गए थे। लेकिन करीब 11 बजकर 27 मिनट पर संसद में गृह मंत्रालय के स्टीकर लगी लाल बत्ती वाली एंबेसडर कार तेज़ गति से प्रवेश कर गई। इसको देखकर सुरक्षाकर्मियों को शक हुआ। उन्होंने उसी दौरान संसद भवन के गेट बंद कर दिए गए। उस समय संसद भवन के अंदर 200 सांसद मौजूद थे।
45 मिनट तक सुनाई दी गोलियों की तड़तड़ाहट:
बता दें आतंकी संसद में घुसकर नेताओं को निशाना बनाने चाहते थे। लेकिन सुरक्षाकर्मियों की मुस्तैदी के चलते वो संसद भवन में प्रवेश तक नहीं कर पाए। सुरक्षाकर्मियों और आतंकियों के बीच करीब 45 मिनट तक गोलियां चली। सुरक्षाकर्मियों ने बहादुरी का परिचय देते हुए एक-एक आतंकी को ढेर कर दिया। लेकिन दुख की बात है कि इस हमले में सात सुरक्षाकर्मियों समेत 8 लोग शहीद हो गए।
अफजल गुरु को दी गई फांसी की सजा:
संसद जैसे सुरक्षित स्थान पर आतंकियों ने जमकर आतंक मचाया था। विपक्ष ने संसद की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल भी उठाया। वहीं इस हमले के मुख्य आरोपी गाजीबाबा को सुरक्षाबलों ने श्रीनगर में ढेर किया। वहीं संसद में मारे गए आतंकियों के मोबाइल फोन से कुछ लोगों की पहचान हुई जो इस हमले में शामिल थे। जिनको बाद में गिरफ्तार कर लिया गया था। फरवरी 2013 में तिहाड़ जेल में इस हमले के एक और मुख्य सरगना अफजल गुरु को फांसी दे दी गई।
संसद भवन पर आतंकी हमले की 20वीं बरसी आज:
लोकतंत्र के मंदिर संसद भवन पर हमले की आज 20वीं बरसी है। इस हमले में देश के 9 बहादुर शहीद हुए थे। इन्होने अपनी बहादुरी का परिचय देते हुए देश पर एक कलंक लगने से बचा लिया था। इनकी बहादुरी और साहस के चलते ही आतंकी संसद भवन में प्रवेश नहीं कर पाए। इन बहादुरों ने अपनी जान देकर देश की रक्षा की। आज भी इन बहादुरों को याद किया जाता है। आज उन 9 वीर सपूतों को श्रद्धांजलि अर्पित की जाएगी जिन्होंने अपनी जान की परवाह किए बगैर डटकर आतंकियों का मुकाबला किया।
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