Pitbull Dog Attack: हमें अपने आस-पास डॉग लवर मिल जाते है। ज्यादातर को विदेशी नस्लों के कुत्ते पालने का बड़ा शौक होता है। लेकिन कई लोग ऐसे भी कुत्तों को अपने घर में रख लेते है जिन पर प्रतिबंध लगा होता है। इनमें शामिल है एक खतरनाक डॉग पिटबुल (Pitbull Dog Attack) भी। खूंखार नस्ल का यह कुत्ता इंसान के लिए कई बार जानलेवा बन जाता है। अब इससे जुड़ी एक घटना राजस्थान के जयपुर से सामने आई। पिटबुल ने जयपुर के एक वीवीआईपी इलाके में 11 साल के बच्चे को 32 जगह काट खाया। बच्चे के सिर और चेहरे पर कई जख्म आए।
घर में खेल रहे 11 साल के मासूम पर हमला:
आपको बता दें जयपुर के अजमेर रोड स्थित एक फर्म हाउस पर माली का काम करने वाले जगदीश मीणा अपने परिवार के साथ वहां बने गैरेज में ही रहते थे। वह गार्ड का भी काम करते थे। माकन मालिक का एक रिश्तेदार अपने साथ पिटबुल डॉग लेकर आया था। जगदीश मीणा का बच्चा खेलते-खेलते पिटबुल के पास चला गया। इसके बाद उसके रोने और चिल्लाने की आवाज़ आई तो मां भागी-भागी घर से निकली। लेकिन तब कुत्ते ने बच्चें को बुरी तरह नोंच डाला। बच्चें के 32 जगह जख्म के निशान हो गए।
मां ने बेटे को बचाने के लिए किया संघर्ष:
जब बच्चें की मां ने अपने बेटे को कुत्ते द्वारा बुरी तरह से अपने जबड़े में जकड़े देखा तो उसने अपनी जान की परवाह ना करते हुए बेटे को कुत्ते के जबड़े से छुड़ाने के लिए संघर्ष किया उसके बाद पड़ोसियों को आवाज़ लगाई। इसके बाद किसी तरह बच्चों को पिटबुल के जबड़े से छुड़ाया गया। नगर निगम के एनिमल शाखा ने पिटबुल को अपने कस्टडी में ले लिया है। लोगों की मानें तो यह डॉगी दीवार फांद कर उस साइड आया जहां माली का परिवार रहता था, उसने मासूम विशाल पर हमला कर किया। बच्चे के रोने चीखने की आवाज सुनकर स्थानीय लोगों ने मासूम को डॉगी के चंगुल से मुक्त कराया और उसे इलाज के लिए अस्पताल भेजा।
रजिस्ट्रेशन नहीं अधिकांश कराते शहरवासी:
घरों में पालतू जानवर पालने के लिए नगर निगम में रजिस्ट्रेशन करवाना पड़ता है। लेकिन विडंबना यह है कि ना तो लोग पालतू जानवर पालने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाने को लेकर संजीदा है और ना ही नगर निगम। पालतू जानवर का रजिस्ट्रेशन कराने से नगर निगम को इस बात की जानकारी रहती है कि किस घर में कौन सा जानवर पाला जा रहा है। रजिस्ट्रेशन जारी करते वक्त पालतू डॉगी के लिए कई तरह के दिशा-निर्देश भी जारी किए जाते हैं। लेकिन रजिस्ट्रेशन की अनिवार्यता को लेकर नगर निगम कोई संजीदगी नहीं दिखाता है। अब किसी की गलती के कारण मासूम बच्चें की जान पर आफत बन आई।
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