गणतंत्र दिवस(Republic Day 2022) के मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी(PM Modi) खास अंदाज में नजर आए. राष्ट्रीय त्यौहारों और सार्वजनिक कार्यक्रमों के आयोजनों में अक्सर पीएम मोदी का अंदाज सबसे अलग होता है. इस बार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी(PM Modi) ने पगड़ी की जगह टोपी पहनी थी और कुर्ता-पायजामे के साथ गले में मणिपुरी गमछा रखा था. प्रधानमंत्री के इस अंदाज को राज्यों की संस्कृति के साथ-साथ चुनाव से भी जोड़कर देखा जा रहा है.
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने किया ट्वीट
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी(Pushkar Singh Dhami) ने इसे लेकर ट्वीट किया कि आज 73वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ब्रह्मकमल से सुसज्जित उत्तराखंड की टोपी धारण कर हमारे राज्य की संस्कृति एवं परंपरा को गौरवान्वित किया है. हालांकि चुनाव और उत्तराखंड की संस्कृति के अलावा इसे एक और बात से जोड़कर देखा जा रहा है.
आज 73वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर माननीय प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी ने ब्रह्मकमल से सुसज्जित देवभूमि उत्तराखण्ड की टोपी धारण कर हमारे राज्य की संस्कृति एवं परम्परा को गौरवान्वित किया है। #RepublicDay pic.twitter.com/9JDnZMHG7B
— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) January 26, 2022
जनरल बिपिन रावत को श्रद्धांजलि
दरअसल बीते साल ही देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत(CDS Bipin Rawat) ने हादसे में अपनी जान गंवाई है. गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में भी जनरल बिपिन रावत को नमन किया तो वहीं पीएम मोदी उनके निधन के बाद पार्थिव शरीर पहुंचने पर सीधा पालम एयरपोर्ट पहुंचे थे. पीएम मोदी(PM Modi) जनरल रावत पर काफी भरोसा करते थे. अब ब्राह्मकल वाली टोपी जो अक्सर जनरल बिपिन रावत पहनते थे, उसे पहनकर पीएम मोदी ने जनरल रावत के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की है.
क्या है ब्राह्मकमल
मतलब अपनी पोशाक से पीएम मोदी(PM Modi) ने कई तरह का संदेश देने की कोशिश की है. उत्तराखंड और मणिपुर दोनों राज्यों में आने वाले दिनों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, ऐसे में पीएम मोदी की पोशाक को चुनाव से जोड़कर देखा जाना भी लाजिमी ही है. जहां तक ब्रह्मकमल की बात है तो ये उत्तराखंड का राज्य पुष्प है, ये अक्सर पहाड़ी इलाकों में साल में एक बार खिलता है.
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कहते हैं कि यह ब्रह्म देव का आसन है, उत्तराखंड में मां नंदादेवी, केदारनाथ और बदरीनाथ में भी ये पुष्प भगवान को अर्पित किए जाते हैं. पूजा-पाठ के अलावा इसका औषधि बनाने में भी इस्तेमाल किया जाता है.
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