आम तौर पर राजधानी दिल्ली में ठंड के मौसम में स्मॉग की मात्रा इतनी बढ़ जाती है कि लोगों को सांस लेने में भी तकलीफ होने लगती है. कोहरे और स्मॉग की वजह से दिल्लीवासियों को काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ता है.
दिवाली के बाद दिल्ली बेहाल!
दिवाली के समय में पटाखों से होने वाले प्रदूषण की वजह से तो दिल्ली और भी बेहाल हो जाती है. हर साल प्रदूषण (Pollution Control) को कम करने के लिए कोई न कोई उपाय किए जाते हैं. इस बार बीते महीने ही केन्द्र सरकार ने एयर क्वालिटी वार्निंग सिस्टम (Air Quality Early Warning System) लॉन्च किया है.
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वायु गुणवत्ता पर रियल टाइम नजर
केन्द्रीय मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने 19 अक्टूबर को इसे लॉन्च किया, इस दौरान उन्होंने बताया कि अब वायु गुणवत्ता प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली को और मजबूत किया गया है. मतलब अब इसकी मदद से 19 जिलों की वायु गुणवत्ता पर रियल टाइम (Real Time) नजर रखी जा सकेगी और बढ़ते प्रदूषण (Pollution Control) का सटीक आंकलन किया जा सकेगा.
पांच दिन पहले मिलेगी ऐसी जानकारी
इस सिस्टम की सबसे खास बात ये होगी कि इसके जरिए ये भी पता चल सकेगा कि अगले पांच दिन ऐसे कौन से कदम उठाए जाएं कि प्रदूषण में गिरावट हो. इस चेतावनी प्रणाली के दायरे में दिल्ली और एनसीआर के जिलों को रखा गया है. इसमें यूपी के गाजियाबाद, बुलंदशहर, गौतमबुद्ध नगर, बागपत, मुजफ्फरनगर और मेरठ शामिल हैं. जबकि हरियाणा के पानीपत, जींद, महेंद्रगढ़, करनाल, झज्जर, गुरुग्राम, फरीदाबाद, रोहतक, रेवाड़ी और सोनीपत को शामिल किया गया है. इसके अलावा राजस्थान के अलवर, भरतपुर जैसे जिले शामिल हैं.
पराली के प्रदूषण पर भी होगी नजर
इस तकनीक की खास बात ये होगी कि इससे पराली की वजह से होने वाले प्रदूषण (Pollution Control) पर खास नजर रखी जाएगी. खासकर दिल्ली में कंस्ट्रक्शन, ट्रांसपोर्ट, धूल और कूड़े को जलाए जाने से प्रदूषण की मात्रा बढ़ती है, ऐसे में प्रदूषण नियंत्रण के लिए इनकी विशेष निगरानी होगी. बता दें कि इसे पृथ्वी और विज्ञान मंत्रालय की ओर से शुरू किया गया है.
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SAFAR की भी की गई थी शुरुआत
इससे पहले पृथ्वी एवं विज्ञान मंत्रालय की ओर से महानगरों में किसी विशेष जगह के प्रदूषण स्तर और वायु गुणवत्ता को मापने के लिए सफर (SAFAR) पहल की शुरुआत की गई थी. जिसके तहत तापमान, वर्षा, आद्रता, हवा की गति और पराबैगनी किरणों की निगरानी होती है. इसमें हवा की गुणवत्ता का आंकलन 1 से 500 तक किया जाता है. इसमें 100 तक की श्रेणी में हवा की गुणवत्ता अच्छी होती है जबकि उससे ऊपर जाने पर हवा की गुणवत्ता खराब होने लगती है. 100-200 तक औसत, 200-300 तक खराब, 300-400 तक बेहद खराब और 400-500 तक के स्तर के बेहद खतरनाक माना जाता है.
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