हर महीने की त्रयोदशी(Tryodashi Vrat) तिथि का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. त्रयोदशी तिथि को भगवान शंकर(Lord Shiva) की पूजा की जाती है. कहते हैं कि इस दिन विधि-विधान से भगवान भोले की पूजा-अर्चना करने से भक्तों पर उनकी कृपा बनी रहती है. देवाधिदेव महादेव की पूजा करने वाले श्रद्धालु इसे प्रदोष व्रत(Pradosh Vrat 2022) के नाम से भी जानते हैं, इसलिए अगर आपको प्रदोष व्रत जानना हो तो उस महीने की त्रयोदशी तिथि को जान लेना आवश्यक है.
प्रदोष व्रत(Pradosh Vrat 2022) की मान्यता इतनी है कि दिन के हिसाब से कई कथाएं भी हैं. चूंकि इस बार माघ महीने(Magh Month) का पहला प्रदोष व्रत 30 जनवरी दिन रविवार को पड़ रहा है, इसलिए इस बार के व्रत को रवि प्रदोष व्रत(Ravi Pradosh Vrat) माना जाएगा. इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नानादि करके भगवान शंकर की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करें. पूजा में बिल्वपत्र और भांग अवश्य शामिल करें, ये दोनों वस्तुएं भगवान भोले को काफी प्रिय हैं. इसलिए बिल्वपत्र के बिना भगवान शिव की पूजा पूरी नहीं मानी जाती. पूजा-अर्चना के बाद इस कथा(Ravi Pradosh Vrat Katha) का पाठ जरूर करें ताकि भगवान की कृपा आपके ऊपर बनी रहे.
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रवि प्रदोष व्रत की कथा
प्राचीन काल में निर्धन ब्राह्मण रहता था, जिसकी पत्नी हर प्रदोष व्रत पर विधि-विधान से देवाधिदेव महादेव की पूजा-अर्चना करती थी. एक दिन उसका बेटा गांव से बाहर जा रहा था, इसी दौरान रास्ते में उसे चोरों ने पकड़ लिया और डरा-धमकाकर गुप्त धन का पता पूछने लगे. इस दौरान वह भयभीत हो गया और उसने कहा कि मेरे पास सिर्फ एक पोटली है, जिसमें रोटी के अलावा कुछ भी नहीं है. मैं गरीब ब्राह्मण हूं, मेर पास कोई गुप्त धन नहीं है.
राजा के सिपाही ने चोरों को पकड़ा
जब चोरों ने देखा कि कुछ हाथ नहीं लगने वाला तो वह उसे छोड़कर भाग खड़े हुए. वह पास में ही एक पेड़ की छांव में विश्राम करने लगा. इसी दौरान जब राजा के सिपाही चोरों को पकड़ने के लिए पहुंचे तो इसे वहां देखकर सोचा कि यही चोर और उसे राजा के पास ले गए, जहां उसे कारागार में बंद कर दिया गया. इधर जब देर रात तक लड़का घर नहीं लौटा तो ब्राह्मण दंपत्ति को चिंता होने लगी. वह दिन भी प्रदोष व्रत का था, मां ने भगवान शिव से प्रार्थना की कि उसका बेटा सुरक्षित हो.
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प्रदोष व्रत की कृपा हुई सुख-शांति की प्राप्ति
भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण करने वाले भगवान शिव(Lord Shiva) ने रात में राजा को स्वप्न दिया कि हे राजा, तुम उस बालक को छोड़ दो, वह निर्दोष है. अगर तुमने ऐसा नहीं किया तो मैं तेरे राज्य को नष्ट कर दूंगा. राजा ने स्वप्न देखकर सुबह लड़के को कारागार से मुक्त कर दिया और ब्राह्मण दंपत्ति को अपने दरबार में बुलाया. डरते हुए ब्राह्मण दंपत्ति जब राजा के दरबार में पहुंचे तो राजा ने कहा कि तुम्हारे निर्दोष लड़के को हमने छोड़ दिया है और तुम्हारी आजीविका के लिए तुम्हें पांच गांव दान देता हूं. प्रदोष व्रत और भगवान की कृपा से वह ब्राह्मण दंपत्ति सुख पूर्वक जीवन व्यतीत करने लगा. कहते हैं कि जो भी इस व्रत कथा(Ravi Pradosh Vrat Katha) को पढ़ता है या सुनता है भगवान उसकी हर परेशानी दूर करते हैं.
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