साल 2021 को खत्म होने में अब कुछ ही दिन बाकी हैं, ऐसे में साल की आखिरी पूर्णिमा(Purnima 2021) 18 दिसंबर को है. जिस दिन भगवान सत्यनारायण की कथा करने से सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने खुद कहा था कि महीनों में मैं मार्गशीर्ष का महीना हूं, इसलिए इस महीने की पूर्णिमा तिथि(Purnima) का शास्त्रों में खास महत्व है.
तिथि को लेकर कंफ्यूजन की स्थिति
इस बार चूंकि पूर्णिमा तिथि दो दिन पड़ रही है, इसलिए लोगों में भ्रम की स्थिति बनी हुई है कि आखिर कब पूजा-अर्चना करें. ऐसे में कंफ्यूजन की कोई बात नहीं है 18 दिसंबर को ही सत्यानारायण भगवान की पूजा(Satyanarayan Puja) अर्चना करें. क्योंकि 18 दिसंबर की सुबह 7 बजकर 25 मिनट से 19 दिसंबर की सुबह 10 बजकर 5 मिनट तक पूर्णिमा तिथि है.
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सत्यनारायण व्रत कथा सुनने का है विधान
साथ ही चंद्रोदय का समय 18 दिसंबर को शाम में है, मतलब पूर्णिमा तिथि के दिन अक्सर जो पूरा चांद आप देखते हैं, वह 18 दिसंबर को आपको दिखाई देगा. ऐसे में कंफ्यूजन(Confusion) दूर होने के बाद ये जानना भी जरूरी है कि आखिर पूर्णिमा(Purnima Date) पर पूजा-अर्चना कैसे करें. आम तौर पर पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण व्रत की कथा सुनने का भी विधान है. सत्यनारायण व्रत की कथा सुनने से पहले भगवान विष्णु(Lord Vishnu) की विधि-विधान से पूजा अर्चना करनी चाहिए.
ऐसे करें भगवान विष्णु की पूजा
पूर्णिमा तिथि के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नानादि से निवृत होकर पूजा के लिए फल-फूल, धूप-दीप और नैवेद्य का इंतजाम करें. भगवान को भोग लगाने के लिए नैवैद्य(प्रसाद) में तुलसी जरूर शामिल करें. पूजास्थल पर आसन लगाने के बाद शुद्ध अंत: करण से आचमन करें और फिर भगवान का ध्यान करें.
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इस पूजा में सत्यनारायण भगवान की कथा(Satyanarayan Vrat Katha) योग्य ब्राह्मण से सुनने का विधान है. पूजा के बाद इस किए गए दान-पुण्य का 32 गुना ज्यादा फल मिलता है. पौराणिक मान्यता है कि विधि-विधान से इस दिन पूजा करने से भगवान सारी मनोकामना पूर्ण करते हैं और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है.
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