Ramlila in Kairana: देश के कई हिस्सों में आज भी रामलीला का आयोजन बड़े धूमधाम से किया जाता है। रामलीला में कलाकार ऐसी कला दिखाते है जिससे लोगों को खूब आनंद आता है। आज हम आपको बताएंगे एक ऐसी अनूठी रामलीला की प्रथा के बारें में जो काफी वर्षों से निरंतर चलती आ रही है। जी हां, आपने रामलीला में अक्सर राम, हनुमान और रावण के किरदार को देखा होगा। लेकिन क्या आपने कहीं ‘काल’ के किरदार को देखा है अगर नहीं तो आपको एक बार यूपी के कैराना रामलीला के बारें में जरूर जानना चाहिए। कैराना (Ramlila in Kairana) की इस अनूठी रामलीला में राम, रावण के अलावा ‘काल’ का जुलूस भी काफी प्रसिद्ध है।
आखिर क्यों निकाला जाता है काल का जुलूस (Kaal Julus)..?
रावण कितना शक्तिशाली था इसका जिक्र तो हमे पौराणिक कथाओं में खूब सुनने को मिलता है। काल यानी मौत को भी रावण ने अपने वश में कर लिया था। इसके बाद रावण का वध करने से पहले राम ने काल को रावण से मुक्ति दिलाई थी। कैराना की इस रामलीला की शुरुआत भी ‘काल’ के जुलूस से ही शुरू होती है। उसी परंपरा के आधार पर रामलीला के शुरू में ही काल को निकाला जाता है, जिसे बाद में रावण द्वारा बंदी बना लिया जाता है। शायद ही देश में और कहीं ‘काल’ जुलूस की परंपरा होगी। दिलचस्प यह है कि इस जुलूस में हिंदू व मुसलमान दोनों होते हैं। बता दें महाभारत की लड़ाई में कर्ण ने जिस स्थान पर रात्रि विश्राम किया था, उसका नाम बाद में कर्ण नगरी के नाम से जाना गया। जो धीरे-धीरे कैराना के नाम से जाना जाने लगा।
काल के हाथ से मार खाने की मची रहती है होड़:
कैराना में इस रामलीला का आयोजन करीब 100 साल से किया जाता है। काल बनाने के लिए आदमी को काले रंग से पोतते हैं। जिस व्यक्ति को काल बनाया जाता है, वो सबसे पहले काली माता के मंदिर में जाकर धोक लगता है। काली माता की पूजा करने के बाद काल पुरे शहर में भागता-दौड़ता रहता है। उसके हाथ में एक लकड़ी की तलवार भी होती है। किसी व्यक्ति के पकड़कर काल उससे चिपक भी जाता है। उसके कपड़े काले भी कर देता है । इस प्रथा को लोग भगवान का प्रसाद समझते हैं वे लोग काले कपड़े करवाने के बाद भी उनको पैसे देते हैं।
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