भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भारतीय बहादुर महिलाओं का भी महत्वपूर्ण योगदान है। इन वीरांगनाओं के शौर्य और पराक्रम की चर्चा इतिहास में उल्लेखित है। आज वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई की जयंती पर उन्हें याद किया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर वीरांगना के साहस और शौर्य को नमन किया। 19 नवंबर 2021 को प्रधानमंत्री झांसी का दौरा करेंगे, महारानी लक्ष्मीबाई की जयंती के मौके पर झांसी किले में लाइट एंड साउंड शो का शुभारंभ करेंगे।
I bow to the valorous Rani Lakshmibai on her Jayanti. She has a special place in the history of India. Her bravery will not be forgotten by generations. I look forward to being in Jhansi later today to attend programmes relating to boosting India’s defence sector.
— Narendra Modi (@narendramodi) November 19, 2021
झांसी की रानी की वीर गाथाओं को हम बचपन से सुनते आ रहे हैं, पढ़ते आ रहे हैं। यहां तक कि उनकी वीरगाथाओं को टेलीविजन और बड़े पर्दे पर भी इतिहास को फिल्माया जा चुका है। महारानी लक्ष्मीबाई की वीरता, शौर्य और साहस की गाथा (Rani Lakshmibai Jayanti) आज भी सम्मानपूर्वक याद की जाती आ रही है।
जबलपुर, कोल्हापुर में भी कुछ हलचल उकसानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥
Remembering the determination of Rani Lakshmi Bai on her birth anniversary today. #WarriorQueen #RaniLakshmiBaiJayanti pic.twitter.com/cv5oJpTnv4
— Ashwin Sanghi (@ashwinsanghi) November 19, 2021
1857 की महान क्रांति में रानी लक्ष्मीबाई की कहानी प्रेरणादायक:-
वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई का जन्म जन्म 19 नवंबर, 1828 को हुआ था। उनका प्रिय नाम मनु था, उनके माता-पिता प्यार से उन्हें मनु पुकारकर बुलाते थे। मात्र चार वर्ष की उम्र में ही उनकी माता का देहांत हो गाय था। उनकी परवरिश पिता की क्षत्रछाया में हुई। और मनु ने बचपन से ही तलवार चलाने का कौशल सीख लिया था। तलवारबाजी के अलावा घुडसवारी एवं धनुर्विद्या का विधिवत प्रशिक्षण लिया था।महारानी लक्ष्मीबाई ने 1857 की महान क्रांति में बड़ा योगदान दिया। (bravest freedom fighter) साहस और शौर्य की वीरांगना से 1857 के सितंबर-अक्टूबर माह के दौरान हुए युध्द में उन्होंने बड़ी बहादुरी से लड़ते हुए अपने पुत्र दामोदर राव को पीठ पर बांधकर बड़े कौशल से युद्ध को लड़ा था। और अपने राज्य झांसी को दो पड़ोसी राज्यों, ओरछा और दतिया की सेनाओं से पराजित होने से बचाया था।
जनवरी 1858 में जब ब्रिटिश आर्मी ने झांसी पर आक्रमण किया तब युद्ध पूरे दो सप्ताह तक लगातार युद्ध चला था। और ब्रिटिश सेना झांसी शहर को पूरी तरह से नष्ट करने में सफल रही। इसके बाद रानी लक्ष्मीबाई की मुलाकात तात्या टोपे से हुई। फिर उन्होंने दोबारा अंग्रेजों के साथ युद्ध लडने का निर्णय लिया। इसी संघर्ष में 17 जून 1858 को वह ग्वालियर की रणभूमि में वीरगति को प्राप्त हुईं और विश्व इतिहास में भारतीय नारी की ओजस्विता की प्रतीक बन गंई। उनका निधन 18 जून 1858 में हुआ था।
वीरांगना की जयंती पर इंदौर में 101 लड़कियों को तलवार चलाने का प्रशिक्षण:
मध्य प्रदेश: रानी लक्ष्मीबाई की जयंती के अवसर पर इंदौर में 101 लड़कियों ने तलवार चलाने का प्रशिक्षण लिया।
एक युवती ने बताया, "मैं लोगों को बताना चाहती हूं कि आज की लड़कियां अपनी आत्मरक्षा खुद कर सकती हैं। सभी लड़कियां ग़लत के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाएं और अपनी आत्मरक्षा खुद करें।" pic.twitter.com/aRKTFsgJXl
— ANI_HindiNews (@AHindinews) November 18, 2021
रानी लक्ष्मीबाई की जयंती के अवसर (Rani Lakshmibai Jayanti) पर मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में 101 लड़कियों ने तलवार चलाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस इवेंट का उद्घाटन इंदौर के सांसद शंकर लालवानी (Shankar Lalwani) द्वारा किया। ANI की खबर के अनुसार एक युवती ने बताया, “मैं लोगों को बताना चाहती हूं कि आज की लड़कियां अपनी आत्मरक्षा खुद कर सकती हैं। सभी लड़कियां ग़लत के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाएं और अपनी आत्मरक्षा खुद करें।”
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