रुद्रमहालय,पाटन (Rudra Mahalaya, Patan): प्राचीन समय में रुद्र महल को सोमनाथ के नाम से जाना जाता है, चारों दिशाओं में भव्य मंदिर की रौनक व्याप्त है। सिद्धपुर बिन्दु सरोवर देवताओं का ननिहाल माना जाता है, पवित्र स्थान विश्वविख्यात है। विशाल और समृद्ध स्थान पर सोलंकी वंश की समृद्धि के दर्शन होते है। रुद्र महालय सिद्धपुर की कीर्ति में चार चांद लगाता है। प्राचीन समय में सिद्धपुर श्री स्थल के नाम से प्रसिद्ध था। सोलंकी वंश के राजा सिद्ध राज जयसिंह के शासन काल में अपना राज्य स्थापित किया था शहर को सिद्धपुर नाम दिया गया।
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शिवालय के शिखर पर अनेकों स्वर्ण कलश स्थापित
सोलंकी वंश के संस्थापक शिव के परम भक्त थे, संवत 943 में रुद्र महालय का कार्य शुरू किया गया था, लेकिन राजा की मृत्यु के पश्चात रुद्र महालय का कार्य अधूरा रह गया था। सिद्धराज जयसिंह के शासनकाल में रुद्र महालय का निर्माण कार्य पूर्ण किया गया। सरस्वती नदी के किनारे रेतीले पत्थरों से भव्य रुद्र महालय का निर्माण किया गया। रुद्रमहालय के चारों ओर 12 भव्य द्वार और 11 रुद्र देवकूलिकाओं का निर्माण किया गया था। शिवालय के शिखर पर अनेकों स्वर्ण कलश स्थापित किए गए थे। रुद्र महालय पर हमेंशा 1600 ध्वजाएँ लहराती रहती थीं। महालय के सभागृह मेंगुंबद पर रामायण और महाभारत की घटनाओं को आकर्षक शिल्पकारी द्वारा चित्रित किया गया है।
देवताओं का ननिहाल माना जाता है सिद्धपुर का रुद्रमहालय, google image
इतिहासकारों ने मिरात- ए-सिकंदरी पुस्तक में मूर्तियों का वर्णन किया
भारतीय पुरातत्व विभाग के अनुसार रुद्रमहालय की लंबाई 70 मीटर और चौड़ाई 49 मीटर है। रुद्रमहालय की मनोहर शिल्पकलाओं और कलात्मक चित्रकारी को देखने के लिए देश-विदेश से पर्यटक आते है। ई. सन 1297 में खिलजी वंश के बादशाह अलाउद्दीन खिलजी और अहमदशाह प्रथम ने रुद्र महालय पर आक्रमण कर क्षति पहुँचाई थी। रुद्र महालय की भव्यता का वर्णन सुलतान अहमदशाह के इतिहासकारों ने मिरात- ए-सिकंदरी पुस्तक में मूर्तियों का वर्णन किया है। यह पुस्तिका सल्तनत काल के इतिहास का आधरभूत स्तम्भ मानी जाती है।
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मुगलों के आक्रमण पश्चात पश्चिम भाग मस्जिद के रूप में,
आक्रमणकारियों ने महालय को क्षति पहुँचाई थी जिससे महल के कई भाग नष्ट हुए, मुगलों के आक्रमण पश्चात पश्चिम भाग मस्जिद के रूप में जाना जाता है। प्राचीन समय की शिल्पकारी, समृद्धि और स्थापत्य का उत्तम उदाहरण माना जाता है रुद्र महालय। वर्तमान समय में भी रुद्र महालय सिद्धपुर का गौरव माना जाता है। मंदिर की भव्यता को देखकर अनुमान लगाया जाता है कि सदियों पहले भव्य मंदिर की कलात्मकता कितनी अद्भुत रही होगी।
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