(Sand) रेत की चोरी क्या कोई बड़ा गुना है ? ऐसा लगता है, भारत में यह एक सामान्य मामला बन गया है. लेकिन ये मामला रेत का नहीं बल्कि प्रकृति से जुड़ा हुआ है.
रेत का उपयोग
घर से लेकर मोबाइल फोन तक. घरों की कंक्रीट में (Sand) रेत लगती है, सड़कों के डामर में, खिड़कियों के कांच में और फोन की सिलिकॉन चिपों में भी रेत है. लेकिन आधुनिक जीवन के निर्माण की जरूरत ये रेत हैं. गैरकानूनी उद्योग की धुरी भी बन जाती है. सप्लाई बहुत कम होती जा रही है और कोई नहीं जानता कि रेत मिलना कब बंद हो जाए.
रेत खनन यानी बर्बादी
नदियां,तालाब और दूसरी जगहों से बेतहाशा मात्रा में रेत निकाली जाती है तो इसकी कीमत लोग ही चुकाते रहेंगे और यह धरती चुकाएगी. रेत खनन से हैबिटैट बर्बाद हो जाते हैं, नदियां गंदली और तटों में दरार आ जाती हैं. इनमें से कई तट तो समुद्र के जलस्तर में बढ़ोत्तरी से पहले ही गुम होने लगे हैं. जब रेत (Sand) की परतें खोदी जाती हैं तो नदी के तट अस्थिर होने लगते हैं.
पानी में एसिड बढ़ने से मछलियां मर सकती हैं. और फसलों को पानी नहीं मिल पाता. यह समस्या तब और सघन हो जाती है, जब बांध के नीचे गाद भरने लगती हैं. और भी बहुत सारे प्रभावों को नहीं देखा जाता है. रेत की कीमत दिखती है लेकिन ये असर बिल्कुल नहीं दिखते हैं. बहुत सारी असरों में से कोई तत्काल नहीं दिखाई देती. जिसके चलते यह जानना कठिन है असर कितना है.
रेत नहीं है बेकार,रेत है प्रकृति का आविष्कार
रेत दुनिया की सबसे नायाब चीजों में से एक हैं. रेत सबसे अधिक इस्तेमाल होने वाली सामग्री है. निर्माताओं के पास रेत की सालाना खपत का कोई अनुमान नहीं. 2019 में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम की एक महत्त्वपूर्ण रिपोर्ट में सीमेंट के डाटा की मदद से रेत की खपत का अंदाजा लगाया गया है क्योंकि सीमेंट में रेत और बजरी इस्तेमाल होती है और इस आधार पर सालाना 50 अरब टन रेत की अनुमानित मात्रा निकाली गई.
नदियों में खनन
नदियों में से जब रेत निकाली जाती हैं तब नदी अपना जो पानी को संजोए रखने का गुण है वो घीरे घीरे सुख जाती है. नदी की तलहटी की खुदाई की वजह से पानी धुंधला हो जाता है. इससे मछलियों का दम घुटता है. रेत खनन की वजह से गंगा नदीं में मछली खाने वाले घड़ियाल विलुप्ति की कगार पर पहुंच गए हैं. 250 से भी कम बचे हैं.
यहाँ भी पढ़ें : नदी जिंदा है या मुर्दा बताने वाली मछली पर अस्तित्व का संकट, क्या इंसान कुछ नहीं बचने देगा ?
खनन से क्या हो सकता है अंजाम
नदियों के तटों की बेतहाशा खुदाई से घाना में तो पहाड़ी इलाक़ों की इमारतों की बुनियादें हिल गई हैं. ताइवान में तो साल 2000 में एक पुल इसी वजह से ढह गया था. इसी तरह पुर्तगाल में एक पुल रेत उत्खनन की वजह से अचानक ढह गया था. जिसकी वजह से वहां से गुज़र रही बस नदी में गिर गई और उस में सवार 70 लोग मारे गए थे.
यहाँ भी पढ़ें : गिद्ध अपने पैरों पर करते है पेशाब,क्या गिद्ध का यह बर्ताव बचाएगा आपकी जान
अधिक रोचक जानकारी के लिए डाउनलोड करें:- OTT INDIA App
Android: http://bit.ly/3ajxBk4