सौरभ कृपाल (Saurabh Kirpal) बन सकते है भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश. सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने सिनियर एडवोकेट सौरभ कृपाल को दिल्ली हाईकोर्ट का जज बनाने की सिफारिश की है. खास बात यह है कि अगर वह अगले मुख्य न्यायाधीश के रूप में चुने जाते है तो सौरभ कृपाल भारत के पहले समलैंगिक जज बनेंगे. आपको बताते चलें कि ये फैसला न्यायपालिका के इतिहास में भी एक मिसाल बन सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने पहली बार किसी व्यक्ति जो समलैंगिक है उन्हें जज बनाने का फैसला किया और सिफारिश भी की है. सौरभ कृपाल आमतौर पर समलैंगिक मुद्दों को उठाते रहे हैं.
Historic day as the Supreme Court collegium has picked Saurabh Kirpal to be the Judge of Delhi High Court. It is a massive step forward in sensitising minds to focus on merit and not on sexual orientation. What is a first today should hopefully be norm tomorrow. Kudos.
— Farhan Akhtar (@FarOutAkhtar) November 16, 2021
सुप्रीम कोर्ट की 11 नवम्बर को कोलेजियम की बैठक हुई थी जिसमें सौरभ के नाम की सिफारिश की गई. जानकारी के मुताबिक इससे पहले इस वर्ष मार्च में भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने केंद्र सरकार से सौरभ कृपाल को जज बनाये जाने को लेकर पूछा था और कहा कि सरकार इस बारे में अपनी राय स्पष्ट करे.
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आपको बता दें कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब कृपाल के नाम की सिफारिश की गई हो. इससे पहले ऐसा चार बार हो चुका है लेकिन उनके नाम पर जज बनाए जाने को लेकर राय अलग अलग रही है. सौरभ कृपाल के नाम पर सबसे पहले कोलेजियम 13 अक्टूबर 2017 को दिल्ली हाईकोर्ट का जज बनाए जाने को लेकर सिफारिश की थी. सितंबर 2018 में कृपाल के नाम पर कोलिजियम ने बिना कोई कारण बताए सहमति नहीं दी. जानकारी के अनुसार 2019 में सीजेआई रहे रंजन गोगोई ने भी उनके केस को टाल दिया था.
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कौन है सौरभ कृपाल
सौरभ कृपाल 31वें चीफ जस्टिस रहे बी एन कृपाल के बेटे हैं. जस्टिस बी एन मई 2002 से नवम्बर तक सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश थे. कृपाल ने दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से फिजिक्स में ग्रेजुएशन की है. वहीं उन्होंने ग्रेजुएशन में लॉ की डिग्री ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से ली है और पोस्टग्रेजुएशन की डिगरी (लॉ) कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से की है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में दो दशक तक प्रैक्टिस की है. यूनाइटेड नेशंस में कृपाल ने जेनेवा के साथ भी काम किया है.
सौरभ ‘नवतेज सिंह जोहर बनाम भारत संघ’ के केस को लेकर प्रसिद्ध है. दरसअल वह धारा 377 हटाये जाने को लेकर याचिकाकर्ता के वकील थे. बता दें कि सितंबर 2018 में धारा 377 को लेकर जो कानून था, उसे सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया था.
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