हाल ही में हमने आपको हत्या के प्रयास यानि आईपीसी की धारा 307 के बारे में बताया था लेकिन आज हम आपको मर्डर यानि आईपीसी की धारा 302 (Section 302) के बारे में क्या है धारा 302, इसके तहत सजा का क्या प्रावधान है, कितने साल तक की आपको सजा सुनाई जा सकती है के बारे में बताएंगे. ऐसे तमाम सवालों के जवाब हम आपको देंगे.
क्या है धारा 302 के साथ?
किसी अन्य इंसान द्वारा किसी बुरे इरादे से किसी की गैरकानूनी हत्या को मर्डर के रूप में जाना जाता है. इसको इंडियन पीनल कोड के अंदर धारा 302 में रखा गया है. आसान भाषा में भारतीय दंड संहिता यानि IPC की धारा 302 के अनुसार अगर कोई व्यक्ति किसी का मर्डर या हत्या करने का अपराध करता है तो उसे मौत या उम्रकैद की सजा हो सकती है और वह इंसान जुर्माना भरने के उत्तरदायी भी होगा. कत्ल के आरोपियों पर लगाई जाती है धारा 302.
इतनी हो सकती है सजा
अगर आप किसी की हत्या करने का अपराध करते है तो सजा के तौर पर आपको उम्रकैद की सजा या मौत की सजा हो सकती है और आपको जुर्माना भी भरना पड़ सकता है. हत्या से संबंधित मामलों में न्यायालय के विचार का प्राथमिक बिंदु आरोपी का इरादा और मकसद है.
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लेकिन आम आदमी होने के नाते आप ये बात जान लें कि इस धारा के तहत कुछ अपवाद हैं जिसमे चार असाधारण मामलों का उल्लेख है जहां किसी इंसान की हत्या को हत्या नहीं माना जाता है. इन अपवाद में निजी रक्षा, लोक सेवक का कर्तव्य, अचानक हुई मारपीट में मौत शामिल है.ये सभी मामले या तो हत्या या गैर इरादे से की गई हत्या के अंदर ही आते है. इन मामलों में एक समानता यह है कि जान बुझकर किसी की मृत्यु या हत्या नहीं की जानी चाहिए और ना ही कोई शारीरिक चोट पहुंचानी चाहिए.
धारा 299 के अनुसार क्या है मर्डर?
IPC में मर्डर का मतलब भी समझाया गया है किन परिस्थितियों किस व्यक्ति की मौत मर्डर कहलाएगी. IPC की धारा 299 में हत्या को एक व्यक्ति द्वारा दूसरे व्यक्ति को मारने या ऐसी शारीरिक चोट पहुंचाने के इरादे से चोट पहुंचाने के कार्य के रूप में परिभाषित किया है जो बदले में ऐसे व्यक्ति की मृत्यु का कारण बनती है या स्वेच्छा से ऐसा कार्य करती है जिससे मृत्यु हो जाती है, तो ऐसी मृत्यु करने वाले व्यक्ति को धारा 299 के प्रावधानों के तहत हत्या कहा जाएगा. चूंकि हत्या करना एक आपराधिक अपराध है, इस अपराध की सजा का प्रावधान भारतीय दंड की धारा 302 के तहत प्रदान किया गया है.
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