दक्षिण भारत में, विशेषकर तमिलनाडु में देवी मां के कई मंदिर हैं, जो अत्यंत ही प्राचीन है. तमिलनाडु के तिरूनेलवेली जिले के कदायम गांव में स्थित श्री नित्य कल्याणी मंदिर तो त्रेतायुग के समय का है. ऐसी मान्यता है कि राजा दशरथ ने यहां संतान प्राप्ति हेतु माता की पूजा-अर्चना की थी. श्री नित्य कल्याणी मंदिर को विलवा वनअनथा स्वामी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है.
वर्तमान मंदिर का निर्माण आठसौ साल पहले हुआ
इतिहासकारों के अनुसार मंदिर का जो वर्तमान स्वरूप है उसका निर्माण करीब आठसौ साल पहले हुआ था. मंदिर के प्रांगण में मौजूद शिलालेखों के अनुसार देवी-देवताओं की कई प्रतिमाएं 1200 ईं.स. के आस-पास स्थापित की गईं थीं.
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माता के बहुत बड़े भक्त थे प्रसिद्ध कवि सुब्रमण्यम भारती
तमिलनाडु के प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी और कवि सुब्रमण्यम भारती माता के बहुत बड़े भक्त थे. ऐसा कहा जाता है उन्होंने कई कविताओं की रचना देवी की प्रेरणा से मंदिर के प्रांगण में कि थी. कवि सुब्रमण्यम ने तमिल भाषा में माता काली के कई भजनों की रचना की थीं. आज भी इन भजनों का गायन और श्रवण यहां के लोग करते हैं.
म्यूजिक तमिल भाषा में माता का भजन
मंदिर के अंदर भगवान विलवा वनअनथा स्वामी की प्रतिमा स्थापित हैं जिन्हें स्थानीय लोग विलवारेनेश्वरर भी कहते हैं. माता की प्रतिमा दक्षिण दिशा में स्थापित है. प्रवेश द्वार पर भगवान शिव और गणेश जी की प्रतिमा है. मंदिर के अंदर माता के कई रूपों की मृर्तियां हैं. दक्षिणामूर्ति, अन्नामलियर, अष्टभुजाओं वाली देवी दुर्गा और चंडिकेश्वरा माता की भी प्रतिमा स्थापित की गई हैं.
मान्यताएं
नित्या कल्याणी देवी मंदिर का उल्लेख कपिला पुराण में भी किया गया है. बताया जाता है कि ऋषि सुंदरमुर्ति नयनावट ने साक्षात माता के सम्मुख स्तुति की थी.
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मंदिर में समस्त देवताओं का है वास
मंदिर के पास सरबंगा ममुनी सुनैथम नाम की पहाड़ी है और मणि मंडपम भी है. इसका स्थानीय लोगों में बड़ा महत्व है. मंदिर की दीवारों पर श्री चंद्रशेखर भगवान, श्री सौद्रा नायकी, श्री दक्षिणामूर्थी और सोमास्कडा भगवान के चित्र बने हुए हैं. मंदिर में कई शिलालेख हैं जिनके बारे में मान्यता है कि यह मदुरै के राजाओं ने बनवाया था. मंदिर के अंदर विल्वा वृक्ष व्रुकशम और थेरथम है. ऐसा कहा जाता है कि ये तीन सौ साल पुराने हैं. ऐसी मान्यता है कि इस वृक्ष के फल के अंदर शिवलिंग की बनावट होती है, जिसे कोई सच्चा भक्त ही दे सकता है.
पौराणिक कथा
ऐसी मान्यता है कि प्राचीन काल में लोगों ने माता नित्या कल्याणी की पूजा अर्चना विधि-विधान से नहीं की थी, जिससे माता प्रकोपित हो गईं. लोगों में भय व्याप्त हो गया. इस भय को दूर करने के लिए भक्त मंदिर के अंदर माता की पूजा करने लगें. ऐसा माना जाता है कि देवी नित्या कल्याणी धन की देवी हैं. यहां हर भक्त का कल्याण होता है, इसलिए इस मंदिर का नाम देवी नित्या कल्याणी पड़ा.
स्थानीय लोगों में यह मान्यता है कि जिनकी शादी नहीं होती है, वो अगर मां के दरबार में आता है, तो उसका विवाह शीघ्र संपन्न हो जाता है. साथ ही महिलाएं यहां अपने पति की लंबी आयु का वरदान भी मांगने आती हैं.
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