Thaipusam 2022: दक्षिण भारत में भगवान कार्तिकेय(Kartikeya) की पूजा ठीक उसी तरह की जाती है जैसे भगवान गणेश(Ganesha) की पूजा आम तौर पर उत्तर भारत में होती है. हालांकि ऐसा नहीं है कि उत्तर भारत में भगवान कार्तिकेय की पूजा नहीं होती या फिर दक्षिण भारत में भगवान गणेश की पूजा नहीं होती लेकिन बड़े स्तर पर जहां तक पूजा के आयोजन की बात है तो भगवान कार्तिकेय की पूजा खास तौर पर तमिल समुदाय के लोग करते हैं. थाईपूसम त्यौहार(Thaipusam 2022) के मौके पर तमिल समुदाय में खासा उत्साह देखने को मिलता है.
आज 18 जनवरी को तमिलनाडु में थाईपूसम का त्यौहार(Thaipusam Festival) मनाया जा रहा है. हो सकता है आपने त्यौहार का नाम पहली बार सुना हो तो पहले समझते हैं कि इसका मतलब क्या है. दरअसल थाईपूसम दो शब्दों से मिलकर बना है जिसमें थाई तमिल महीने का नाम है, जबकि पूसम पुष्य नक्षत्र है. तमिल महीने में पुष्य नक्षत्र के प्रारंभ होने पर ये त्यौहार मनाया जाता है.
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थाईपूसम त्यौहार मनाए जाने की मान्यता
पौराणिक मान्यता के मुताबिक माता पार्वती(Mata Parvati) ने आज ही के दिन भगवान कार्तिकेय जिन्हें स्कंद कुमार या मुरुगन(Murugan) के नाम से भी जाना जाता है, उन्हें दिव्यास्त्र भाला दिया था. उसी दिव्यास्त्र से मुरुगन ने सुरपद्म नामक असुर का वध किया था. इसलिए इस दिन भगवान मुरुगन की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है, जिससे भक्तों को सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. बता दें कि भगवान कार्तिकेय की सवारी मोर और उनका प्रमुख अस्त्र भाला है. यह भगवान गणेश के बड़े भाई माने जाते हैं.
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कहां-कहां मनाया जाता है त्यौहार
थाईपूसम का त्यौहार ऐसा नहीं है कि सिर्फ तमिलनाडु(Tamilnadu) में ही मनाया जाता है बल्कि तमिल समुदाय के लोग जहां-जहां रहते हैं वहां इसे बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. भारत के अलावा श्रीलंका, मॉरिशस, सिंगापुर और मलेशिया में भी थाईपूसम त्यौहार मनाया जाता है. तमिलनाडु के पलानी अरुल्मिगु मंदिर में दस दिनों तक यह त्यौहार मनाया जाता है.
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